नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से एक अहम अपील की है. पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि उनसे मुलाकात के दौरान वह उनके पैर न छुएं. उन्होंने कार्यकर्ताओं से सिर्फ ‘जय भीम’ बोल कर अभिवादन करने का आग्रह किया है. बसपा सुप्रीमों की इस अपील के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने नेता की इस अपील को सराहा है.
असल में आमतौर पर यह देखा गया है कि बसपा कार्यकर्ताओं में पार्टी अध्यक्ष मायावती का पैर छूने की होड़ मची रहती है. कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद तमाम कार्यकर्ता अपनी पार्टी अध्यक्ष के पहुंचते ही उनके पैर छूने लगते थे. यही नहीं, संसद भवन में भी मायावती के पहुंचने पर उनके राज्यसभा सांसद उनके पैर छूने लगते थे. कई बार विपक्षी इसकी आलोचना भी करते हैं.
हालांकि ऐसा नहीं है कि अपने नेता का पैर छूने का रिवाज सिर्फ बसपा में ही है, बल्कि बसपा के पहले से मौजूद तमाम राजनैतिक दलों में बड़े नेताओं के पैर छूने की परंपरा रही है. लेकिन जब पहली बार बसपा सत्ता में आई और एक दलित महिला को मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ तो नजारा कुछ और था. मायावती यूपी की जनता के साथ-साथ उस समाज का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, जिसका हजारों सालों से शोषण हो रहा था. ऐसे में उनके मुख्यमंत्री बनते ही बड़े-बड़े धन्नासेठों और कथित ऊंची जाति के लोग अपना मतलब निकालने के लिए बसपा प्रमुख के पास पहुंचने लगे. इसमें यूपी के वो ब्राह्मण और ठाकुर भी शामिल थे, जिन्होंने दलितों का खूब शोषण किया था. स्वार्थवश इन्होंने सावर्जनिक तौर पर मायावती का खूब पैर पकड़ा और मायावती ने उन्हें मना भी नहीं किया. बल्कि माना जाता है कि उन्होंने इसका आनंद लिया.
इससे यूपी सहित देश के तमाम हिस्सों में मौजूद दलितों और पिछड़ों को खूब शांति मिली. असल में वो अपने शोषकों को अपने समाज की नेता के पैरों में देख रहे थे. यही वजह रही कि बसपा और मायावती को बहुत तेजी से देश के वंचित तबके का सहयोग मिला. लेकिन तब से तीन दशक बीत चुके हैं. ऐसे में मायावती का कार्यकर्ताओं से पैर न छूने की अपील से जाहिर है कि कार्यकर्ताओं के बीच साकारात्मक मैसेज जाएगा.
राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।
बहुत ही सकारात्मक असर रहेगा ।