नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बारे में तीखी टिप्पणी करना बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह को भारी पर गया है. जयप्रकाश सिंह के बयान की आलोचना होने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नेशनल को-आर्डिनेटर के पद से हटा दिया है. दरअसल 16 जुलाई को यानि कल सोमवार को लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की लखनऊ और कानपुर जोन की बैठक थी. इस बैठक की जिम्मेदारी बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी के दोनों नेशनल कोआर्डिनेटर एड. वीर सिंह और जयप्रकाश सिंह को दिया था.
यह पहला मौका था जब इतना बड़ा कार्यक्रम बिना मायावती के हो रहा था. इसलिए दोनों नेशनल को-आर्डिनेटर के लिए यह बड़ी बात थी. दोनों ने यानि वीर सिंह और जयप्रकाश सिंह ने इसे संबोधित किया. इसी बैठक में जयप्रकाश सिंह की जबान फिसल गई और उन्होंने सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कह दिया कि राहुल गांधी विदेशी मूल के हैं इसलिए भारत की राजनीति में सफल नहीं हो सकते. देश बहन मायावती को पीएम के तौर पर देखना चाहता है.
जयप्रकाश सिंह के इस बयान को लेकर उन्हें पद से हटाए जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी के नेताओं में हड़कंप मच गया है. इस पूरे मामले को लेकर बसपा प्रमुख मायावती के ऑफिस से एक प्रेस रिलिज मीडिया को भेजी गई है, जिसमें सुश्री मायावती ने पार्टी के नेताओं को कई अहम निर्देश दिए हैं. डालते हैं उस पर एक नजर-
इस मुद्दे पर मीडिया को जारी अपने बयान में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि बी.एस.पी. सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय तथा धर्म-निरपेक्ष व सर्व-धर्म सम्मान की सोच एवं नीतियों में विश्वास रखती है तथा उन पर पूरी ईमानदारी व निष्ठा से अमल भी करती है और यह सब उत्तर प्रदेश में, मेरे नेतृत्व में बी.एस.पी. की चार बार चली सरकार में भी देखने के लिये मिला है.
जयप्रकाश सिंह ने बी.एस.पी. की इस मानवतावादी सोच व नीतियों के विरूद्ध जाकर तथा अपनी विरोधी पार्टियों के सर्वोच्च राष्ट्रीय नेताओं के बारे में भी काफी कुछ व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी करके उनके बारे में काफी अनर्गल बातें भी कही हैं, जो बी.एस.पी. के कल्चर के पूरे तौर से विरूद्ध है. और जिनका बी.एस.पी. से कोई लेना-देना नहीं है. जिसे अति गम्भीरता से लेते हुये तथा पार्टी व मूवमेन्ट के हित में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री जयप्रकाश सिंह को उनके इस पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है और साथ ही, इनको बी.एस.पी. के राष्ट्रीय को-ओडिनेटर के पद से भी हटा दिया गया है.
पदाधिकारियों को चेतावनी
मैं मीडिया के माध्यम से पूरे देश में, अपनी पार्टी के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों व नेताओं को भी यह चेतावनी देती हूँ कि वे बी.एस.पी. की हर छोटी-बड़ी मीटिंग व कैडर-कैम्प एवं जनसभा आदि में केवल बी.एस.पी. की विचारधारा, नीतियों व मूवमेन्ट के बारे में तथा दलित एवं पिछड़े वर्ग में जन्में अपने महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों एवं पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में केवल उनके जीवन-संघर्ष एवं सिद्धान्तों व सोच के सम्बन्ध में ही अपनी बातें रखें. उनकी आड़ में दूसरों के सन्तों गुरूओं व महापुरूषों के बारे में अभद्र एवं अशोभनीय भाषा का कतई भी इस्तेमाल ना करें.
गठबंधन पर बयान से बचें
गठबंधन पर बहनजी ने कहा है कि… उत्तर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में भी किसी भी पार्टी के साथ जब तक चुनावी गठबन्धन की घोषणा नहीं हो जाती है, तब तक गठबन्धन के बारे में किसी भी स्तर पर बात न करें. यह सब पार्टी के लोगों को अपनी पार्टी के हाईकमान पर ही छोड़ देना चाहिये.
लिखकर करें प्रेस वार्ता
बहनजी ने पार्टी के नेताओं को सुझाव दिया है. उन्होंने कहा है- मैं पार्टी के खासकर वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारियों को यह सलाह देती हूँ कि उन्हें विशेषकर गम्भीर व महत्वपूर्ण विषयों पर तथा प्रेसवार्ता में भी ज्यादातर अपनी बातों को लिखकर ही रखना व बोलना चाहिये. ताकि खासकर जातिवादी मीडिया व हमारी विरोधी पार्टियों को फिर किसी भी प्रकार से हमारी पार्टी के बारे में गलत बात कहने व प्रचार करने का मौका ना मिल सके.
तो ये तमाम बातें हैं जो बसपा अध्यक्ष मायावती ने मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कही है. जहां तक जयप्रकाश सिंह को पद से हटाए जाने की बात है तो दिक्कत यह हुई कि इस बैठक में राहुल गांधी पर हमले और उनके विदेशी मूल के सवाल को उठाने से कांग्रेस के नेताओं ने भी शिकायत दर्ज करा दी. खबर जब मायावती जी तक पहुंची तो वो भी हैरान रह गईं क्योंकि इस वक्त राहुल गांधी को निशाने पर लेना बिल्कुल गैर जरूरी था. क्योंकि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में गठबंधन को लेकर बसपा और कांग्रेस के बीच बात चल रही है और राहुल गांधी इस मामले को खुद देख रहे थे. तो वहीं अगर 2019 में बसपा अध्यक्ष मायावती के प्रधानमंत्री बनने की संभावना बनती है तो वह बिना कांग्रेस के समर्थन के पूरा नहीं हो सकती है. ऐसे में सीधे राहुल गांधी पर निशाना साधना जाहिर है जयप्रकाश सिंह का गैर जरूरी कदम था. जिसकी सजा उन्हें मिल गई है.
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बिल्कुल सही कदम उठाया गया है बहन जी द्वारा। व्यक्तिगत हमला नहीं बल्कि नीतिगत हमला होना चाहिए राजनीति में