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नई दिल्ली। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन की संभावना लगभग खत्म हो गई है. दोनों दलों के करीबी सूत्रों के मुताबिक इन तीनों चुनावी प्रदेशों में दोनों दल अब अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे. इसके साथ ही पिछले काफी वक्त से दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभवना खत्म हो गई है.
कांग्रेस मीडिया में लगातार यह बयान दे रही थी कि बसपा से बातचीत जारी है. लेकिन बसपा ने कभी भी किसी बातचीत की पुष्टि नहीं की. इस बीच पिछले कुछ दिनों से गठबंधन को लेकर किसी तरह का कोई बयान भी सामने नहीं आया. बसपा प्रमुख मायावती जहां सम्मानजनक सीटों की बात कर रही थीं तो कांग्रेस पैकेज डील की. लेकिन गठबंधन की सुगबुगाहट के एक महीने बाद भी दोनों दल किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाएं.
बसपा सूत्रों के मुताबिक अब गठबंधन की संभावना खत्म है और बसपा अपने बूते चुनावी तैयारियों मे जुट गई है. इस बात के संकेत इससे भी मिलते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को सितंबर से पहले प्रदेशों में सभी बूथों पर अपने एजेंटों की नियुक्ति कर लेने का फरमान जारी किया है. इतना ही नहीं बसपा सेक्टर और ब्लॉक स्तर पर भी इस अवधि के अंदर अपनी टीम तैयार करने में जुट गई है.
“दलित दस्तक” को मिली सूचना के मुताबिक तीनों प्रदेशों मे लगे पार्टी के पदाधिकारियों से प्रत्याशियों की सूची फाइनल करने को कही गई है. बसपा तीनों प्रदेशों में हर सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. जहां पार्टी का प्रत्याशी मजबूत नहीं है, वहां जमीनी कार्यकर्ता को चुनाव में उतारने की तैयारी है. कांग्रेस-बसपा के बीच गठबंधन नहीं हो पाने की सूचना से खासकर भाजपा उत्साहित है. दोनों दलों के अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में भाजपा को फायदा मिलना तय है.
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राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।
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