नई दिल्ली। बीजेपी के वेस्ट यूपी पर फोकस करने के बाद दूसरे दलों ने भी यहां नजर गड़ा दी हैं. बीएसपी प्रमुख मायावती ने अपनी इस मजबूत सियासी जमीन पर वोटों की फसल लहलहाने के लिए अपने सिपहसालारों को एक सिंतबर से ग्राउंड रिपोर्ट लेने के लिए भेजेंगी. बीएसपी प्रदेश अध्यक्ष हर मंडल में दो दिन बिताकर पार्टी में पक्ष में मौजूदा माहौल की थाह लेंगे. साथ ही वह संगठन के लोगों से खुली चर्चा कर बीजेपी की बनाई रणनीति की काट का खाका तैयार करेंगे. बीएसपी का मसकद दलित, मुस्लिम और पिछड़ों को साधने पर रहेगा.
बीएसपी के सूत्रों के मुताबिक कुशवाहा एक और दो सितंबर को आगरा मंडल में रहेंगे. 3 और 4 को अलीगढ़ मंडल में, 6 और 7 को बरेली मंडल में, 8 और 9 को मुरादाबाद मंडल में, 13 और 14 सितंबर को सहारनपुर मंडल के मुजफ्फरनगर जिले में, 15 और 16 सितंबर को मेरठ मंडल में रहेंगे. दोनों दिन बूथ और सेक्टर स्तर तक के वर्करों के बीच रहेंगे. प्रदेश अध्यक्ष वेस्ट यूपी के बाद 17 से 29 सिंतबर तक आजमगढ़, बनारस, भदोही, झांसी, चित्रकूट, कानपुर में भी इसी तरह वर्करों से चुनावी तैयारियों की थाह लेंगे.
बीएसपी का वेस्ट यूपी से खासा लगाव है. यहां सियासी तौर पर भी वह अक्सर मजबूत साबित हुई है. खुद पार्टी प्रमुख मायावती के सियासी सफर की शुरुआत वेस्ट यूपी से ही हुई थी. उन्होंने पहला चुनाव 1984 में कैराना सीट से लड़ा था. कैराना के चुनाव में उन्हें 45 हजार वोट मिले थे और वह हार गई थीं. 1985 में बिजनौर लोकसभा सीट के उपचुनाव और 1987 में हरिद्वार (अविभाजित यूपी के रहते) से उपचुनाव लड़ा और हार गईं. मायावती 1989 में लोकसभा चुनाव में बिजनौर से सांसद बनी. 1996 और 2002 में वह सहारनपुर जिले की हरौड़ा (अब सहारनपुर देहात) सीट से एमएलए बनीं और सीएम की शपथ ली. 2007 में वेस्ट यूपी से सबसे ज्यादा विधायक बीएसपी के जीते थे. इसी के साथ मायावती का जन्मस्थल गौतमबुद्ध नगर में है और ननिहाल हापुड़ जिले में.
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