नई दिल्ली। बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने आज मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि जैसाकि आप लोगो को यह मालूम है कि आज से रंगों का पर्व होली पूरे उमंग के साथ मनाना शुरु हो गया है. इस मौके पर मैं अपनी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश सहित पूरे देशवासियों को होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देती हूँ और साथ ही कुदरत से यही प्रार्थना करती हूँ कि अपना देश खासकर गरीबी, बेरोजगारी व जातिवाद तथा साम्प्रदायिकता आदि से मुक्त होकर हमेशा अमन-चैन, आपसी सौहार्द व सद्भावना वाला बने.
इसके साथ-साथ इस मौके पर उन्होने अपने खुद के लोकसभा आमचुनाव लड़ने के बारे में भी यह कहा कि बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट के जन्मदाता व संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी द्वारा चलाया गया यह करोड़ों शोषितों, पीड़ितों व उपेक्षितों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का मूवमेन्ट भी है, जिसका हित मेरे लिए सर्वोंपरि है. इसे खास ध्यान में रखकर ही मुझे बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते बीच-बीच में काफी कड़े फैसले भी लेने पड़ते हैं और यदि मैं ऐसा नहीं करती हूँ तो फिर हमारी मूवमेन्ट को बहुत छति हो सकती है, क्योंकि इस मूवमेन्ट के हमारे विरोधी लोग किस्म-किस्म के हथकण्डे अपनाकर व षड़यन्त्र करके इसे अक्सर फेल करने में ही लगे रहते हैं और खासकर चुनावों के समय में तो ये लोग अनेकों प्रकार के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डे इस्तेमाल करके हमारी इस मूवमेन्ट को चुनावी आघात लगाने के षड़यन्त्र में लग जाते हैं, जिससे निपटना भी हमारे लिए बहुत जरुरी होता है.
अगर इसके खिलाफ मजबूती से नहीं लड़ा जायेगा तो फिर यहाँ विशेषकर हमारे करोड़ों दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों का और इन वर्गों में कनवर्टेड खासकर मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों का भी जीवन फिर से यहाँ अन्धकार में चला जायेगा और फिर ये लोग पुनः यहाँ दासता व गुलामी की जंजीर में जकड़ लिये जायेंगे. इसे हर हाल में हमें रोकना है. और यह वर्तमान सन्दर्भ में मेरे लोकसभा आमचुनाव लड़ने से जुड़ा हुआ एक मामला है, जिसके बारे में यह सर्वविदित है कि मैं उत्तर प्रदेश में जहाँ से भी चाहूँ चुनाव लड़ सकती हूँ और वैसे भी मैंने यहाँ उ.प्र. से चार बार लोकसभा का चुनाव जीता है तथा दो बार विधानसभा की सदस्य भी रही हूँ तथा चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रही हूँ.
ऐसी स्थिति में मुझे प्रदेश की किसी भी सीट पर केवल नामांकन भरने के लिए ही जाना होगा और बाकी जीत की जिम्मेदारी हमारे लोग खुद निभा लेंगे, यह निश्चित है. लेकिन अपनी बहनजी को भारी से भारी मतों से जिताने के लिए जब पार्टी के लोग मेरे लाख मना करने के बावजूद भी मेरे लोकसभा क्षेत्र में काम करने चले जायेंगे तो मुझे यह आशंका है कि इससे फिर हमारा दूसरे क्षेत्र का चुनाव कुछ ना कुछ जरुर प्रभावित होगा, जो मैं कतई भी नहीं चाहती हूँ.
इसके साथ ही, बहन जी ने कहा वैसे आप लोगों को यह भी मालूम है कि इस देश में गरीब, मजदूर, किसान, बेरोजगार व अन्य मेहनतकश विरोधी बीजेपी की वर्तमान अहंकारी, निरंकुश, जातिवादी व साम्प्रदायिक सरकार को उखाड़ फेकने का तैहया करने के तहत् ही यहाँ उ.प्र. में बसपा, सपा व आर.एल.डी. का गठबन्धन किया गया है और इस गठबन्धन की तीनों पार्टियों की हर सीट को जीतने के लिए पूरे जी-जान से लगी हुई है जिसे मैं किसी भी कीमत पर थोड़ा सा भी नुकसान होते हुये नहीं देखना चाहती हूँ. इसलिए मेरे खुद के जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि इस लोकसभा चुनाव में यहाँ प्रदेश की एक-एक लोकसभा की सीट को जीतना, जिससे फिर यहाँ हमारी पार्टी के सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के मिशन को भी पूरा बल मिलेगा.
उन्होने यह भी कहा के अपनी पार्टी के इसी मूवमेन्ट के हित को ध्यान में रखकर ही मैंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर अपने मूवमेन्ट को धरातल पर संघर्षशील बनाया है और वैसे मैं कभी भी संसद में चुनकर जा सकती हूँ लेकिन वर्तमान हालात को देखकर अगर चुनाव बाद मौका आयेगा तो मैं जिस सीट से चाहुँगी तो उस सीट को खाली कराकर लोकसभा सांसद बन सकती हूँ.
इसीलिए देश के वर्तमान हालात व जरुरत को देखते हुये तथा अपनी पार्टी की मूवमेन्ट के व्यापक हित के साथ-साथ जनहित व देशहित का भी यही तकाजा है कि मैं लोकसभा का चुनाव अभी नहीं लड़ूँ. और यही कारण है कि मैंने फिलहाल लोकसभा का आमचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा भरोसा है कि हमारी पार्टी के लोग, मेरे लिये गये इस मिशनरी फैसले को जरुर समझेंगे और मेरे इस फैसले का स्वागत करके ये लोग पूरे जी-जान व तन, मन, धन के साथ अपने बसपा, सपा व आर.एल.डी गठबन्धन की एक-एक सीट को जरूर जिताने में लग जायेंगे. साथ ही अपनी बहनजी की दूरदर्शिता व कुर्बानी का सम्मान पहले की तरह ही जरुर करेंगे, इसका मुझे अपनी पार्टी के लोगों पर यह पूरा-पूरा भरोसा भी है.
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