जब से यूपी चुनाव की चर्चा शुरू हुई है, मनुवादी मीडिया बसपा को सबसे पीछे बता रही है। मीडिया बहाने खोज कर बसपा की लगातार निगेटिव कैंपेनिंग कर रही है। आलम यह है कि यूपी चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने के बाद जहां तमाम नेता दूसरी पार्टियों से बसपा की ओर आ रहे हैं तो 10 छोटी पार्टियों ने भी बसपा का समर्थन किया है। जिसे देख कर लगता है कि ये ऐग्जिट पोल बसपा को लेकर एक बार फिर औंधे मुंह गिरेंगे।
सिर्फ जनवरी महीने में विपक्षी पार्टियों को छोड़ बसपा का दामन थामने वाले नेताओं की बात करे तो-
- मुजफ्फरमगर जिले से ताल्लुक रखने वाले यूपी के पूर्व गृहमंत्री श्री सईदुज़्ज़ामां के बेटे सलमान सईद कांग्रेस छोड़ कर बसपा में शामिल हो गए हैं। बसपा ने उन्हें चरथावल विधान सभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
- सहारनपुर जिले के पूर्व केंद्रीय मंत्री रसीद मसूद के भतीजे व इमरान मसूद के सगे भाई नोमान मसूद भी लोकदल छोड़कर बीएसपी में शामिल हो गए हैं। इनको बीएसपी प्रमुख मायावती ने गंगोह विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
- गाजियाबाद में भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष केके शुक्ला ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें गाजियाबाद शहर विधानसभा प्रत्याशी भी घोषित कर दिया।
- उनके साथ-साथ भाजपा के पार्षद कृपाल सिंह भी बसपा में शामिल हो गए।
- हापुड़ की गढ़ मुक्तेश्वर सीट से समाजवादी पार्टी के 3 बार के विधायक और सरकार में पूर्व मंत्री रहे मदन चौहान भी बसपा में शामिल हो गए हैं।
- बदायुं जिले में बिल्सी विधानसभा की सपा नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य ममता शाक्य सपा छोड़कर बसपा में शामिल हो चुकी हैं।
- निर्भया कांड की वकील सीमा कुशवाहा ने भी बसपा प्रमुख मायावती से मिलकर बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर लिया है।
इसके अलावा भी भाजपा, सपा और कांग्रेस से जुड़े तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है।
बसपा के लिए एक उपलब्धि यह भी रही कि हाल ही में 10 राजनीतिक दलों ने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए बसपा को समर्थन दिया है। इसमें-
- इंडिया जनशक्ति पार्टी
- पच्चासी परिवर्तन समाज पार्टी
- विश्व शांति पार्टी
- संयुक्त जनादेश पार्टी
- आदर्श संग्राम पार्टी
- अखंड विकास भारत पार्टी
- सर्वजन आवाज पार्टी
- आधी आबादी पार्टी
- जागरूक जनता पार्टी
- सर्वजन सेवा पार्टी
का नाम शामिल है।
ये तमाम दल और नेता यूपी में 5वीं बार बहन मायावती को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं। बसपा की ये उम्मीद सही साबित होगी या नहीं ये तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन मनुवादी मीडिया जिस तरह बसपा को अनदेखा कर रहा है, वह पूरे भारतीय समाज की सच्चाई बताता है।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।