लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मृत्यु को यूपी सरकार की लापरवाही बताते हुए निंदा की है. मायावती ने कहा कि यह अत्यंत ही दुखद और दर्दनाक घटना है. इसके लिए भाजपा सरकार की जितनी भर्त्सना की जाए कम है. उन्होंने मांग की है कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच हो और पीड़ित परिवार को हर प्रकार की मदद की जाए.
बसपा सुप्रीमों ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सरकार की उदासीनता और अनदेखी के कारण पिछले छह दिनों में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के लिए जनहित और जनकल्याण के मामले ज्यादा महत्व नहीं रखते क्योंकि उनके लिए दलित-विरोधी, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम-विरोधी मामलों के साथ-साथ तिरंगा, वंदेमातरम, मदरसा, व एंटी रोमियो जैसे मुद्दे ज्यादा मायने रखते हैं.
मायावती ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर मांओं की गोद उजड़ने की दर्दनाक घटना उस समय हुई है जब यूपी के मुख्यमंत्री स्वयं गोरखपुर में सरकारी दौरे पर थे और राजनीति व पूजा-पाठ आदि से थोड़ा समय निकालकर सरकारी विभागों के कार्यकलापों की समीक्षा कर रहे थे. इस दौरान आश्चर्यचकित कर देने वाली इस घटना का होना वास्तव में यूपी सरकार की क्षमता और उसकी कार्यप्रणाली की सफलता पर एक नहीं बल्कि सौ सवालिया निशान खड़े करता है.
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इस दर्दनाक घटना की संवेदनशीलता को गंभीरता से लेते हुए बसपा के तीन सदस्सीय उच्च प्रतिनिधि मण्डल को तत्काल गोरखपुर जाकर अस्पताल का दौरा करने, पीड़ित परिवार को सांत्वना देने तथा उन्हें न्याय पहुंचाने का भरोसा दिलाने का निर्देंश दिया गया है.
मायावती ने कहा कि बसपा यूपी के अध्यक्ष रामअचल राजभर, विधानसभा में बसपा दल के नेता लालजी वर्मा और क्षेत्र के पार्टी प्रभारी दिनेश चन्द्रा गोरखपुर जाकर घटना की जानकारी प्राप्त कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे. क्योंकि भाजपा नेतागण सही तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने व जनता को असली मुद्दे से भटकाकर उन्हें गुमराह करने के मामलों में काफी ज़्यादा महारत रखते हैं. वे जनहित की अनदेखी करना, अपनी जिम्मेदारी से भागना और फिर जनता को बहकाना खूब अच्छी तरह से जानते हैं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।