मायावती का ऐलान, किसी राज्य में कांग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं करेगी बसपा

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नयी दिल्ली। चुनावों की घोषणा के बाद आज 12 मार्च को बसपा ने एक बड़ी बैठक कर चुनाव की समीक्षा की. इस बैठक में उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी प्रदेशों के प्रभारियों के साथ बसपा प्रमुख ने पहले अलग-अलग और फिर एक साथ सभी प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक की. इस दौरान बड़ा ऐलान करते हुए बसपा प्रमुख सुश्री मायावती ने साफ कर दिया कि पार्टी कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी.

इन बैठकों में उन राज्यों में भी पार्टी की तैयारियों की विशेष समीक्षा की गई जिन राज्यों में बी.एस.पी. पहली बार गठबंधन करके लोकसभा का आमचुनाव लड़ रही है. जैसे बी.एस.पी. व सपा का उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी राज्य उत्तराखण्ड व मध्य प्रदेश में भी आपसी समझ व सूझबूझ के साथ समझौता हुआ है जबकि हरियाणा व पंजाब राज्य में वहाँ कि स्थानीय पार्टी के साथ समझौता तय है. बैठक में एक बार फिर स्पष्ट किया गया कि बी.एस.पी. किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का, कोई भी चुनावी समझौता अथवा तालमेल आदि करके यह चुनाव नहीं लडे़गी.
सुश्री मायावती जी ने अन्य बातों के अलावा बैठक में यह भी बताया कि बी.एस.पी. व सपा का गठबंधन दोनों तरफ से आपसी सम्मान व पूरी नेक नीयती के साथ काम कर रहा है और उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व मध्य प्रदेश में यह फस्र्ट व परफेक्ट एलायन्स माना जा रहा है जो सामाजिक परिवर्तन की जरूरतों को भी पूरा करता है तथा बीजेपी को परास्त करने की क्षमता रखता है जिसकी देशहित में आज की आवश्यकता है.
उन्होंने पार्टी के लोगों को ज़मीनी स्तर पर काम करके पार्टी को कैडर के आधार पर तैयार करने पर ज़्यादा बल देते हुये कहा कि बी.एस.पी. एक पार्टी के साथ-साथ परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अधूरे कारवाँ को मंजिल तक पहुँचाने तथा उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का मूवमेन्ट भी है और यही हमारी भारतीय राजनीति में असली शक्ति व विशिष्ट पहचान है, जिसे जी-जान से काम करके हर हाल में बनाये रखना है.
सुश्री मायावती जी ने बताया कि बी.एस.पी. से चुनावी गठबंधन के लिये कई पार्टियाँ काफी आतुर हैं, लेकिन थोड़े से चुनावी लाभ के लिये हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो बी.एस.पी. मूवमेन्ट के हित में बेहतर नहीं है. बी.एस.पी. ने काफी कड़ा संघर्ष व अथक प्रयास करके ना बिकने वाला समाज बनाया है और चुनावी स्वार्थ के लिये कैसे अपने मूवमेन्ट को नुकसान होता हुआ देख सकती है. हालात के बदलने में देर नहीं लगते हैं और इसीलिये पार्टी के लोगों को पूरी हिम्मत से लगातार काम करते रहने की जरूरत है.

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