हम आपको अपना मानते हैं, तब भी जब आप हमारे ग्रंथों को अपना नहीं मानते। फिर भी हम हिन्दू वो लोग हैं, जो आपको स्वीकार करते हैं और गले लगाकर चलते हैं। वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान संसद में बौद्ध धर्म पर यह टिप्पणी कर अखिलेश यादव बुरी तरह घिर गए हैं। बौद्ध धर्म को लेकर उनके इस बयान के बाद अंबेडकरवादियों में खासा रोष है।
दरअसल अखिलेश यादव वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा करने उठे तो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू की ओर मुखातिब हो गई। किरण रिजिजू बुद्धिस्ट हैं। ऐसे में अखिलेश यादव उनकी धार्मिक पहचान से जोड़ते हुए बौद्ध धर्म पर सवाल उठाने लगे। कहने लगे कि आप हमारे वेदों और पुराणों को नहीं मानते, फिर भी हम आपको गले लगाते हैं।
पीडीए का ढिंढोरा पीटने वाले अखिलेश यादव ने जिन शब्दों का प्रयोग किया, उनके भीतर का कट्टर हिन्दू सामने आ गया। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या मुस्लिम समाज हिन्दू धर्म ग्रंथों और पुराणों को मानता है? क्या क्रिश्चियन और अन्य धर्मों के लोग हिन्दू धर्म ग्रंथों को मानते हैं? या फिर क्या हिन्दू समाज के लोग मुस्लिमों के धार्मिक ग्रंथों को मानते हैं? जवाब है नहीं।
भारत में हर धर्म के अपने ग्रंथ हैं और उस धर्म के लोग उन्हीं ग्रंथों को मानते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म पर टिप्पणी कर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं?
अखिलेश यादव फिलहाल पीडीए की राजनीति कर रहे हैं, पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक। बीते दिनों में तमाम दलित नेताओं ने अखिलेश यादव की पार्टी को ज्वाइन भी किया। तो लोकसभा चुनाव में उनको दलितों का समर्थन भी मिला। वो दलित समाज जो बाबासाहेब आंबेडकर और तथागत बुद्ध को मानता है। उसी बुद्ध और बौद्ध धर्म पर टिप्पणी करना आने वाले दिनों में अखिलेश यादव को भारी पर सकता है।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।