ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में भारतीय बौद्ध समुदाय ने 19 अक्टूबर 2024 को 68वां धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया। यह कार्यक्रम मेलबर्न बुद्धिस्ट सेंटर और भारतीय बौद्ध समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस दौरान बौद्ध समाज ने बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर और तथागत बुद्ध के विचार को दोहराया। इस आयोजन में हर उम्र के लोग पहुंचे। इसमें बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग समान रूप से शामिल थे।
14 अक्टूबर 1956 को भारत के महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने पांच लाख से ज्यादा अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया। इसके ठीक दो दिन बाद, 16 अक्टूबर 1956 को धम्म दीक्षा का कार्यक्रम महाराष्ट्र के ही चंद्रपुर में भी आयोजित हुआ। चंद्रपुर में यह समारोह जिस समिति ने आयोजित किया था, उसमें दिवंगत डॉ. जमनादास खोबरागड़े की प्रमुख भूमिका थी।
19 अक्टूबर के इस कार्यक्रम के लिए, दिवंगत डॉ. जमनादास खोबरागड़े के पुत्र डॉ. प्रशांत खोबरागड़े भी सिडनी से मेलबर्न पहुंचे थे। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने 1956 में चंद्रपुर में हुई ऐतिहासिक घटना के बारे में अपने पिता द्वारा सुने गए किस्से को साझा किया। डॉ. संजय लोहट ने डॉ. अंबेडकर की पुस्तक “द बुद्ध एंड हिज धम्मा” को पढ़ने को लेकर अपना अनुभव साझा किया। इस दौरान मौजूद स्वरूप लांडगे ने भी डॉ. आम्बेडकर के आंदोलन में शामिल होने वाली अपने परिवार के सदस्यों के अनुभवों को साझा किया।
सभा को संबोधित करने वाले प्रमुख अतिथियों में डॉ. संजय लोहट, डॉ. प्रशांत खोबरागड़े, धम्मचारी सिलदास, श्री स्वरूप लांडगे शामिल थे। बता दें कि धम्म दीक्षा दिवस या धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस भारत के बौद्धों द्वारा हर साल मनाया जाता है। जहां तक मेलबर्न बुद्धिस्ट सेंटर की बात है तो यह त्रिरत्न बौद्ध समुदाय द्वारा चलाया जाता है। इसे पहले फ्रेंड्स ऑफ द वेस्टर्न बौद्ध ऑर्डर (FWBO) के नाम से जाना जाता था। यह एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है जो बौद्ध धर्म के सिद्धांतों दुनिया भर में पहुंचाने के लिए काम करता है।
इस दौरान ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय बुद्धिस्ट समाज ने इस कार्यक्रम में सहभागिता की। आयोजकों ने दलित दस्तक को इसकी तस्वीरें साझा की है, आप खुद देखिए झलकियां-
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