दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अंबेडकर जयंती की तैयारियों जोर पकड़ चुकी हैं। चाहे भारत हो, चाहे अमेरिका, चाहे इंग्लैंड या फिर कनाडा, दुनिया भर के अंबेडकरवादियों में अंबेडकर जयंती का खासा उत्साह है।
कनाडा के वैंकुअर के अंबेडकरवादी इसे Dr. Ambedkar International Symposium for Emancipation and Equality Day के तौर पर मना रहे हैं। यानी इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को मुक्ति और समानता दिवस के रूप में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम 21 अप्रैल से 26 अप्रैल तक चलेगा। कार्यक्रम का आयोजन चेतना एसोसिएशन ऑफ कनाडा और अंबेडकराइट इंटरनेशनल को-ऑर्डिनेशन सोसाइटी (AICS) संगठन मिलकर कर रहे हैं।
इस अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से शामिल होने के लिए अंबेडकरवादी पहुंच रहे हैं। इस दौरान बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दिये गए तमाम सिद्धांतों पर लगातार छह दिनों तक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें बुद्धिज्म से लेकर बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर के द्वारा दिये गए समानता के सिद्धांत सहित तमाम महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित सदस्यों में जज नीतू बधान स्मिथ, एमएलए लीला अहिर, ग्लोबल रेडियो से मीरा इस्त्रादा, भंते सरनपाला, दलित दस्तक के संपादक अशोक दास और राज रतन अंबेडकर शामिल होंगे।
इस कार्यक्रम को करने के लिए कई सदस्यों की अलग-अलग कमेटी बनी है। इसकी स्टेयरिंग कमेटी के सदस्यों में जय बिरदी, परम कैंथ, सुजीत बैंस, हरमेश चंदर, आनंद बाली, हरजिंदर मॉल शामिल हैं। जबकि इसके एकेडमिक एडवाइजर में जेएनयू के प्रो. विवेक कुमार, डॉ. के.पी. सिंह, डॉ. सूरज येंगड़े, डॉ. सुजाता, डॉ. युवराज नरानवारे शामिल हैं।
21 अप्रैल से 26 अप्रैल तक चलने वाले इस आयोजन में 23 अप्रैल को बाबासाहेब की जयंती समानता दिवस के रूप में मनाई जाएगी। जबकि 24 अप्रैल को कनाडा के बर्नाबी शहर में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पन किया जाएगा।
कनाडा का बर्नाबी वह ऐतिहासिक शहर है, जहां की सिटी काउंसिल ने 2020 में बाबासाहेब की जयंती 14 अप्रैल को ‘डॉ. अंबेडकर डे ऑफ इक्वालिटी’ के तौर पर मनाने का ऐलान किया था। बीते साल 2022 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रोविंस ने अप्रैल महीने को ‘दलित हिस्ट्री मंथ’ के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। इन दोनों बड़ी घोषणाओं में कनाडा के अंबेडकरवादी संगठनों चेतना एसोसिएशन ऑफ कनाडा और अंबेडकराइट इंटरनेशनल को-ऑर्डिनेशन सोसाइटी (AICS) की अहम भूमिका थी।
इस कार्यक्रम में मुझे भी आमंत्रित किया गया है। और मैं 18 अप्रैल से 8 मई तक कनाडा में इस आयोजन सहित तमाम अन्य आयोजनों में शामिल होऊंगा। वहां कॉस्ट एंड मीडिया विषय पर अपनी बात रखूंगा। निश्चित तौर पर इस तरह के कार्यक्रम दुनिया भर के अंबेडकरवादियों को एक साथ लाने और एक नए विचार को दुनिया भर में ले जाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए।
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।