जाति को लेकर सिर्फ आरक्षण की चर्चा करने की ट्रेनिंग सवर्ण परिवारों में अक्सर बचपन में ही दे दी जाती है. ऐसे बच्चों और बच्चियों के लिए समस्या जातिवाद नहीं, आरक्षण है, जबकि राष्ट्र निर्माताओ ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान जाति समस्या के इलाज के तौर पर इसलिए किया है, ताकि तमाम समुदायों, खासकर सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को राजकाज में हिस्सेदारी देकर उन्हें राष्ट्रनिर्माण का हिस्सा बनाया जा सके.
ऐसे बच्चे जब जाति की बात आने पर फौरन आरक्षण की बात करने लगते हैं और सारी समस्याओं की जड़ इसे ही बताने लगते हैं, तो दरअसल वे अपनी जानकारी में कोई झूठ नहीं बोल रहे होते हैं. दरअसल इस मसले पर उनको सिर्फ यही तर्क सिखाया जाता है. सिखाने वालों में माता-पिता, रिश्तेदार, दोस्त आदि होते हैं, जो भारतीय स्थितियों में अक्सर अपनी ही जाति या अपने ही जाति समूह के होते हैं. कंगना रानौत जाति के बारे में जो बोल रही हैं, वह इस मायने में सच है कि इसके अलावा कोई सच उनको आज तक किसी ने बताया ही नहीं है.
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