Monday, February 3, 2025

कवर स्टोरी

जातीय राजनीति के शिकार सुपर 30 के आनंद कुमार

कौन कितना प्रतिभाशाली है, ये उस व्यक्ति के काम की तुलना में उसकी जाति से समझना लोग ज़्यादा प्रामाणिक मानते हैं. जब व्यक्ति सवर्ण नहीं हो और उसकी प्रतिभा की चर्चा हो रही हो तो उन्हीं सवर्णों के कान खड़े हो जाते हैं. लोग...

अप्रैल विद्रोह

5 अप्रैल को देश भर के दलितों में भयंकर गुस्सा था. दो अप्रैल के आंदोलन के बाद उनका गुस्सा बढ़ गया था. खासतौर पर भाजपा शासित राज्यों में हालात ज्यादा बुरे थे. और चूंकि देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता पर भाजपा का कब्जा...

महान दलित विभूतियों का तिरस्कार?

हमारा देश सदियों पुराना देश है जहां ना जाने कितने बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं ने राज किया और देश के इतिहास के पन्नों पर अपने कार्यों के माध्यम से अमिट छाप छोड़ दी. जितना पुराना इस देश का इतिहास है, लगभग उतना ही पुरानी इसकी जातिप्रथा...

मनुवाद को चुनौती देते तीन महापुरूष

अप्रैल महीने का पहला पखवाड़ा स्वतंत्रता, समता और भाईचारे पर आधारित आधुनिक भारत का सपना देखने वाले तीन महापुरूषों की जयंती का समय हैं. 9 अप्रैल (1893) को राहुल साकृत्यायन. 11 अप्रैल (1827) को जोतिबा फुले और 14 अप्रैल (1891) को बाबा साहेब भीमराव...

खतरे में राजनैतिक आंदोलन

पिछले छह महीने से यूपी चुनाव की व्यस्तताओं में उलझी मायावती के सामने जब 11 मार्च को चुनावी नतीजे आए तो उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं था. चुनाव के दौरान अपने को सत्ता से बस एक कदम दूर मानकर चल रही मायावती और बहुजन...

प्रजातंत्र को मजबूत करती बसपा

26 जनवरी 2017 को भारत ने अपना 67वां गणतंत्र दिवस मनाया। इन 67 वर्षों में सामाजिक, आर्थिक, न्यायिक, उच्च, तकनीकी एवं प्रबंधन शिक्षा आदि में बहुजनों (अनु. जाति/जजा/अन्य पिछड़ा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों) की भागेदारी उनकी जनसंख्या के अनुपात में कत्तई सुनिश्चित नहीं हो...

जन्मदिन विशेषः बहनजी का धम्म कारवां

भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण उपरान्त लगभग 218 वर्षों के बाद विश्व के तमाम देशों को अपने धम्म-विजय अभियान द्वारा विजित करने वाले महान सम्राट अशोक ने इसी भारत-भूमि पर राज्य करना प्रारम्भ किया. न्यग्रोध नामक सात वर्षीय श्रामणेर के ‘अप्पमाद’ (अप्रमाद) से संबंधित धर्मोपदेश...

नोटबंदी से आम जनता त्रस्त

जनसंख्या की दृष्टि से विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की राजधानी दिल्ली के आसमानों में मानव जीवन के लिए हानिकारक कणों की धुंध जमी हुई थी. पर्यावरण विशेषज्ञ और सरकारी प्राधिकरण के अधिकारी जनता को घर से न निकलने की सलाह दे रहे थे....

परिनिर्वाण दिवस विशेषः बहुजन पुर्नजागरण के सूत्रधार बने थे फुले

महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के इतिहास में एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने भारतीय के शूदों और स्त्रियों की स्वतंत्रता और समानता की पुरजोर वकालत की थी. फुले ने अपना सार्वजनिक जीवन 1848 में शुरु किया और 28 नवंबर 1890 को अपने जीवन के आखिरी...

‘बहनजी’ की हुंकार, बसपा तैयार

आगरा स्थित जिस ऐतिहासिक कोठी मीना बाजार मैदान में तकरीबन 50 वर्ष पूर्व बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने ऐतिहासिक भाषण में लोगों को अपनी आत्मनिर्भर राजनीति की ओर चेतना से आगे बढ़ने का संदेश दिया था. उसी ऐतिहासिक मैदान से 21 अगस्त को...
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ओपीनियन

मैं चाहता हूँ कि मनुस्मृति लागू होनी चाहिए

अख़बार में पढ़ा था कि गत दिनों बनारस में कुछ दलित छात्रों ने मनुस्मृति को जलाने का कार्यक्रम किया था, और वे सब...

राजनीति

डॉ. आम्बेडकर की जन्मस्थली से कांग्रेस का नया अभियान शुरू, दलितों-पिछड़ों पर निशाना

महू, मध्य प्रदेश। देश भर के दलितों को कांग्रेस के पाले में एकजुट करने के लिए कांग्रेस पार्टी और इसके नेता राहुल गांधी ने...
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