Monday, February 3, 2025

कवर स्टोरी

गुजरात से बदलाव की बयार…

गुजरात के उना में मर चुकी गाय की खाल उतारने को लेकर दलित जाति के युवकों की पिटाई पर पूरा गुजरात उबल गया है. राज्य में घटी दलित उत्पीड़न की इस विभत्स घटना पर देश भर के दलितों में रोष है. इसने गुजरात में...

सबकी लड़ाई बसपा सेः यूपी चुनाव को लेकर प्रो. विवेक कुमार का विश्लेषण

हाल ही में शिक्षा कार्य के लिये मुझे गोरखपुर जाना पड़ा. गोरखपुर के लिये सीधी फ्लाइट रद्द होने के कारण मुझे वाया लखनऊ होकर गोरखपुर जाना पड़ा. लखनऊ एयरपोर्ट पर टैक्सी पकड़ कर मैं जब लखनऊ में दोस्तों से मिलने जा रहा था तो...

ओबीसी आरक्षण और शिक्षा क्षेत्र में भागीदारी का सवाल

2014 में केन्द्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद भारत में सवर्णवादी ताकतें एकबार फिर पुरजोर तरीके से मुखर व आक्रमक हैं. जाहिर है कि समाज के दलित- आदिवासी- पिछड़ा- पसमांदा जमात के खिलाफ तमाम तरह के हथकंडे रचे जा रहे हैं ताकि...

राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया का आरंभ था संविधान निर्माण

संविधान लागू होने के 65 वर्ष बाद पिछले दिनों संसद में पहली बार संविधान दिवस पर बहस देखने को मिला. इसके माध्यम से राष्ट्रनिर्माण में बोधिसत्व भारतरत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर चर्चा हुई. यह अपने आप मे एक ऐतिहासिक क्षण था...

नहीं चाहिए एक और ‘एकलव्य’

पिछले साल आपने आईआईटी मद्रास की एक दलित छात्र संस्था ‘अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल’ का नाम सुना होगा. इस संस्था ने जब मोदी सरकार की श्रम नीतियों की आलोचना की, बीफ बैन पर स्टैंड लिया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों ने केंद्रीय...

हम सबके डॉ. अम्बेडकर

मध्‍य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 23 किमी. की दूरी पर मुंबई-आगरा मार्ग पर महू छावनी है. इसी महू छावनी की एक बैरक में 14 अप्रैल, 1891 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्‍म हुआ था. उस समय डॉ. अम्बेडकर के पिता श्री...

देवभूमि के दलितों का दर्द

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां कण-कण में भगवान के होने का दावा किया जाता है, लेकिन इसी देवभूमि की एक हकीकत ऐसी भी है, जिसे उत्तराखंड के चेहरे पर दाग और लोकतंत्र के साथ मजाक कहना ही ठीक होगा. राजधानी देहरादून से...

छद्म राष्ट्रवाद की उग्रता

रोहित चक्रवर्ती वेमुला उर्फ रोहित नाम का 26 साल का युवा फाँसी के फंदे पर झुलकर जान दे देता है, यह ऐसे भारत देश की घटना है जहां की 65 फीसदी आबादी 35-40 साल से कम की है. रोहित की मौत फिलहाल आत्महत्या है...

गणतंत्र के 65वें वर्ष में बहुजन कहां?

यह सत्य है कि भारत के गणतंत्र बनने के 65 वर्षों में हमारे राष्ट्र ने बहुत विकास किया है. तकनीकी रूप से आवागमन के साधन (रोड, रेल और हवाई जहाज), सूचना क्रांति, अंतरिक्ष विज्ञान, सैन्य शक्ति (जल, थल, वायु), औद्योगिकीकरण, नगरीकरण कुल मिलाकर आधुनिकीकरण...
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कास्ट मैटर्स

वीडियो

ओपीनियन

मैं चाहता हूँ कि मनुस्मृति लागू होनी चाहिए

अख़बार में पढ़ा था कि गत दिनों बनारस में कुछ दलित छात्रों ने मनुस्मृति को जलाने का कार्यक्रम किया था, और वे सब...

राजनीति

डॉ. आम्बेडकर की जन्मस्थली से कांग्रेस का नया अभियान शुरू, दलितों-पिछड़ों पर निशाना

महू, मध्य प्रदेश। देश भर के दलितों को कांग्रेस के पाले में एकजुट करने के लिए कांग्रेस पार्टी और इसके नेता राहुल गांधी ने...
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