Wednesday, February 5, 2025

साहित्य-धर्म

विपिन भारतीय को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

नई दिल्ली। सोशल एक्टिविस्ट, गायक और ओएनजीसी के मेहसाना युनिट में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यकरत यूपी के सहारनपुर निवासी विपिन कुमार भारतीय को बड़ा सम्मान मिला है. थाईलैंड की Nakhon Pathom Rajghat University द्वारा आयोजित 9th International Conference on Art & Culture...

दिल्ली में 3-4 फरवरी को दलित साहित्य महोत्सव, लगेगा दिग्गज साहित्यकारों का जमावड़ा

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में ‘दलित साहित्य महोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है. यह महोत्सव 3 और चार जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में आयोजित होगा. कार्यक्रम का समय सुबह 9.30 से शाम 6.30 तक होगा. इस तरह...

‘तूफाँ की ज़द में’ (ग़ज़ल संग्रह) : एक दृष्टि

युवा लेखक, कवि व कहानीकार शिवनाथ शीलबोधि का कहना है कि ग़ज़ल के अर्थ को यदि एक शब्द में रूढ़ करना हो तो मैं ये कहूंगा कि गजल दिल और दिमाग में मचलती वो विचारधारा है जो अव्यक्त से व्यक्त होने को बेताब होती...

‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’ या आदिवासियों की कब्र

मेरे देशवासियों! जश्न के अवसर पर रोना वाला मनहूस होता है मैं भी उन मनहूस लोगों में से एक हूं जब पूरा देश 31 अक्टूबर के जश्न में डूबने के लिए उतावला है तो मैं मनहूस 31 अक्टबूर के लिए शोकगीत लिख रहा हूं मेरे लिए तो यह खुशी का दिन होना चाहिए मेरे...

“मैं गुजरात आया हूँ”

न्यू इंडिया की भयावह तस्वीर देखने आया हूँ, उत्तर भारतीयों के लिए बन रहा दूसरा कश्मीर देखने आया हूँ, मैं गुजरात आया हूँ... सुना है मराठियों के बाद, गुजरातियों ने भी स्वतंत्र भारत के एक स्वतंत्र राज्य पर अपना दावा ठोंक दिया है, मैं तुम्हारी वही कथित जागीर...

एक दैत्य अथवा महान उदार द्रविड़ शासक, जिसने अपने लोगों की लुटेरे-हत्यारे आर्यो से रक्षा की

  महिषासुर ऐसे व्यक्तित्व का नाम है, जो सहज ही अपनी ओर लोगों को खींच लेता है. उन्हीं के नाम पर मैसूर नाम पड़ा है. यद्यपि कि हिंदू मिथक उन्हें दैत्य के रूप में चित्रित करते हैं, चामुंड़ी द्वारा उनकी हत्या को जायज ठहराते हैं,...

मुसहर

मामाजी वो कौन था ? गांव का था। दाल,चावल, आंटा,सब्जी, तेल मसाला और रूपए भी मामीजी ने क्यों दिए ? नेग दिए हैं भांजे । नेग क्यों ? तुम्हारे भाई की शादी है । भाई की शादी मे भीखारी को इतना नेग ? तुम नहीं समझोगे शहर मे रहते हो भांजे...

गोपालदास नीरज, जिनकी कविता में शराब से ज़्यादा नशा था

''इस द्वार क्यों न जाऊं, उस द्वार क्यों न जाऊं घर पा गया तुम्हारा मैं घर बदल-बदल के हर घाट जल पिया है, गागर बदल बदल के'' तब फ्लाईओवरों की दिल्ली अपनी प्रक्रिया में थी. साल 2008 था शायद, जब राजधानी के व्यस्त ट्रैफिक में फंसी एक...

समाज

समाज और देश धीरे-धीरे बदल ही रहा था कि अचानक मनु के रखवाले देश के रहनुमा बन गए! और देश फिर से गुलाम हो गया। छिनने लगी आजादी पहले खाने की, फिर पहनने ओढ़ने की, फिर शिक्षा की, फिर धर्म की, फिर कर्म की, फिर मूर्ति की, फिर रंग की देश मे असमानता, जातिवाद, आडम्बर, अवैज्ञानिकता, रूढ़िवाद, हिंसा,...

हुंकार

बह रहा शोणित है तेरा फिर भी तू क्यों मौन है पूछ अपने आप से मानव है तू या कौन है जाति की जठराग्नि में हिन्दुत्व के अभिमान में हवन होते हैं  दलित जीते हैं वो अपमान में संविधान का नहीं उनको कोई अब डर रहा मनुवाद के दावानल में रोहित सरोज है मर रहा और...
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कास्ट मैटर्स

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ओपीनियन

मैं चाहता हूँ कि मनुस्मृति लागू होनी चाहिए

अख़बार में पढ़ा था कि गत दिनों बनारस में कुछ दलित छात्रों ने मनुस्मृति को जलाने का कार्यक्रम किया था, और वे सब...

राजनीति

डॉ. आम्बेडकर की जन्मस्थली से कांग्रेस का नया अभियान शुरू, दलितों-पिछड़ों पर निशाना

महू, मध्य प्रदेश। देश भर के दलितों को कांग्रेस के पाले में एकजुट करने के लिए कांग्रेस पार्टी और इसके नेता राहुल गांधी ने...
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