Wednesday, February 5, 2025

ओपीनियन

क्रान्तिकारी परिवर्तन का दस्तावेज़ है ‘गुलामगिरी’

दरअसल हिंद स्वराज एक ऐसी किताब है, जिसने भारत के सामाजिक राजनीतिक जीवन को बहुत गहराई तक प्रभावित किया. बीसवीं सदी के उथल पुथल भरे भारत के इतिहास में जिन पांच किताबों का सबसे ज़्यादा योगदान है, हिंद स्वराज का नाम उसमें सर्वोपरि है....

दलित-मुसलमानों को अखबार पढ़ना छोड़ देना चाहिए!

उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधान सभा चुनाव तक क्या दलित-मुसलमानों को अख़बार पढ़ना छोड़ देना चाहिए? क्या उन्हें सवर्ण नेताओं और मीडिया से दुरी बना लेनी चाहिए? क्या दलितों और मुसलमानों को ऐसी किसी रैली या जनसभा में नहीं जाना चाहिए, जहां...

सिर्फ आरएसएस और मनुवादी लोग ही राष्ट्रवादी हैं?

24 अगस्त 2016 को मोदी जी ने बयान दिया कि दलित-पिछड़े राष्ट्रवादी नहीं और राष्ट्रवादियों के अलावा कोई भाजपा के साथ नहीं. मोदी जी के इस बयान पर अनुसूचित जातियों की तीखी प्रतिक्रिया लाजिमी है. तीखी प्रतिक्रिया हुई भी. लेकिन प्रतिक्रिया उनके बयान के...

बाबा रामदेव का देश प्रेम!

मल्टीनेशनल कंपनियां तो लुटेरी ठहरी. वह तो आयी ही हैं लाभ कमाने. भला बिना लाभ के लालच में कोई व्यापार करता है? गोलगप्पे वाला भी खोमचा नहीं लगाता बिना लाभ की उम्मीद में. लाखों का विज्ञापन दे कर रामदेव जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ...

क्रिकेट में दलित हिस्सेदारी

ब्रिटिश शासन के समय क्रिकेट के इतिहास में भारतीयों की हिस्सेदारी जितनी अजीबोगरीब तरीके से हुई, उतने ही अजीबोगरीब तरीके से क्रिकेट में राजनीति की घुसपैठ से परिस्थितियों का निर्माण होने लगा था. माना जा सकता है कि क्रिकेट खिलाड़ियों में भयंकर प्रतिस्पर्धा होने...

बसपा की रैलियों पर प्रो. विवेक कुमार की टिप्पणी

  बसपा सुप्रीमो मायावती यूपी में अब तक दो चुनावी रैलियां कर चुकी हैं. इन दोनों चुनावी रैलियों में लाखों की संख्या में समर्थक इकट्ठा हुए. चुनावों के नजरिए से बसपा का रूख सकारात्मक है. बसपा अपना एजेंडा सेट कर रही है. आगरा रैली और...

दयाशंकर मुद्दे पर यूपी के महिला आयोग में चुप्पी क्यों?

क्या किसी ने इस बात पर ध्यान दिया है कि दयाशंकर सिंह द्वारा बसपा अध्यक्ष मायावती को अपशब्द कहने पर भी देश और उत्तर प्रदेश के महिला आयोगों ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है? ऐसा क्यों? जो राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य...

जाति का एशियाई संदर्भ

एक पत्रिका के लेख में प्रसिद्ध उद्योगपति वॉरेन बफेट ने एक सवाल उठाया था कि “एक ही मां के गर्भ से जन्में जुड़वों का समान रुप से चुस्ती, शक्ति-सामर्थ्य है. उनमें से एक का जन्म बांग्लादेश में और दूसरे का अमेरिका में होगा तो...

बाबा साहेब के ब्राह्मणीकरण की साजिश

भारत में जो भी ज्ञानी-ध्यानी लोग पैदा होते हैं.... वो किसी भी जाति में पैदा हों..... ये ब्राह्मण उन्हें अपनी संतान कहने का कोई न कोई कारण ढूंढ ही लेते हैं.... इस जन्म की बात घोषित करें या पूर्वजन्म की..... यानि कि चित भी...

डॉ. अम्बेडकर और मातृत्व अवकाश

मातृत्व लाभ बिल 2016 को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी. लोकसभा की मंजूरी अभी बाकी है. बिल से सरकारी और निजी क्षेत्रा में काम करने वाली महिलाओं को 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि तमिलनाडू में 26 हफ्ते...
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ओपीनियन

मैं चाहता हूँ कि मनुस्मृति लागू होनी चाहिए

अख़बार में पढ़ा था कि गत दिनों बनारस में कुछ दलित छात्रों ने मनुस्मृति को जलाने का कार्यक्रम किया था, और वे सब...

राजनीति

डॉ. आम्बेडकर की जन्मस्थली से कांग्रेस का नया अभियान शुरू, दलितों-पिछड़ों पर निशाना

महू, मध्य प्रदेश। देश भर के दलितों को कांग्रेस के पाले में एकजुट करने के लिए कांग्रेस पार्टी और इसके नेता राहुल गांधी ने...
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