हम प्रतिवर्ष समूचे राष्ट्र को उद्वेलित कर देने वाले “स्वतंत्रता दिवस” समारोह धूमधाम से मनाते हैं. इस अवसर पर भारत छोड़ो आन्दोलन का याद आना स्वाभाविक ही है. भारत छोड़ो आन्दोलन का वह समय था जब हमारे लक्ष्यों और आदर्शों की निष्ठा ने राष्ट्र...
प्राचीन काल से लेकर आज के समय तक एक उपमा जो स्त्रियों के लिए हमेशा दी जाती है, वह है कि सीता-सावित्री की तरह बनो. इस उपमा में सीता या सावित्री के व्यक्तित्व की ऊंचाईयों और गहराईयों को समझने की बात नहीं होती. यहां...
बिहार की राजधानी पटना में 3 अगस्त, 2016 को अपने हक-हकूक के लिए सड़क पर आवाज बुलंद करने उतरे दलित छात्रों पर पुलिसिया दमन की बर्बर कार्रवाई दुखद है क्योंकि दलितों का वोट सभी लेना चाहते हैं लेकिन उनको बराबरी का हक कोई भी...
पिछले दिनों गुजरात के ऊना में मरी गाय का चमड़ा उतारने पर गाय को मारने के आरोप में गोरक्षा समिति के गुंडों द्वारा चार दलितों की बुरी तरह से पिटाई की गयी थी जिस पर दलितों ने विरोध स्वरूप मरी गाय को उठाने का...
ये बात सही है कि भारत में दलित चेतना का संचार देश के दक्षिण-पश्चिमी तट से शुरू हुआ. पर आज देश में बहुजन आन्दोलन या दलित अस्मिता की बात होती है तो लखनऊ के अंबेडकर पार्क और नोएडा के दलित चेतना केंद्र के बिना...
हमारा देश जाति प्रधान देश है. देश में 4 वर्ण हैं, जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र में बंटा हुआ है. ब्राह्मण और क्षत्रिय सवर्ण यानी उच्च जाति के खुद को मानते हैं, जबकि शुद्र मतलब अनुसूचित जाति जनजाति यानी दलित समाज को ब्राह्मण...
भारत के 20 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती को भारतीय जनता पार्टी का एक वरिष्ठ नेता सार्वजनिक तौर पर जिस घिनौनी भाषा का इस्तेमाल करता है. आखिर इस बयान की जद में क्या...
डॉक्टर अम्बेडकर कहते थे यदि कोई काम आपको अछूत बनाता है तो उस काम को तुरन्त छोड़ दीजिये. साफ़ सुथरे रहिये और गंदगी वाला काम मत कीजिये. मैं समझता हूँ जिस तरह दलितों ने गुजरात में मरी हुई गाय को फेंककर विरोध किया है,...
गुजरात के उना शहर में चार दलित युवकों को अर्धनग्न कर जिस स्पोट्स यूटिलिटि व्हीकल से बाँधा गया है वह हमारी अर्थव्यवस्था की रफ़्तार का प्रतीक है. महिंद्रा के ज़ाइलो की कीमत साढ़े आठ लाख से साढ़े दस लाख के बीच है. इसी ज़ाइलो...
अमेरिका एक बार फिर नस्लीय हमलों से दहल उठा है. नए सिरे से इसकी शुरुआत जुलाई के पहले सप्ताह के शेष में पुलिस की गोली से दो दिन में दो अश्वेतों की मौत से हुई है. पहली घटना पांच जुलाई की है. उस दिन...