भारत के लिए ओलंपिक में पदक की उम्मीद जगाने वाली दीपा कर्मकार की ओर सारा देश उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है. दीपा 14 अगस्त को फाइनल के लिए उतरेंगी. जाहिर है जब दीपा अपना प्रदर्शन कर रही होंगी तो सारा भारत सांस...
अहमदाबाद। गुजरात के उना में दलितों के साथ अमानवीय व्यवहार के विरोध में विगत 5 अगस्त से जारी दलित अस्मिता यात्रा 15 अगस्त को उना पहुंचेगी. इस क्रम में गुजरात के विभिन्न हिस्सों से लोग उना पहुंचने की तैयारी में लग गए हैं. प्रदेश...
भारतीय आजादी के इतिहास को दर्शाने के मौके पर देश के इतिहासकार और लेखक दलित वीर और वीरांगनाओं की कुरबानी एवं उनकी वीर गाथाओं को उजागर करने की बजाय उस पर पर्दा डालने का काम करते रहे हैं. इन वीर और वीरांगनाओं की सूची...
कैलिफोर्निया। बाबासाहेब अम्बेडकर को मानने वाले लोग पूरे अमेरिका और कनाडा में "आजादी के लिए गुजरात दलित मार्च" का समर्थन करेंगें और दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगें, 12 अगस्त से इसकी शुरूआत कोपले स्क्वेयर और हारवर्ड स्क्वेयर सहित पूरे...
पटना। जातिगत भेदभाव बिहार के शिक्षा संस्थानों में तेजी से बढ़ रहा है. कुछ दिन पहले ही पटना में दलित छात्रों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था. अब मामला शैक्षणिक संस्था में आरक्षण की नीति में परिवर्तन करने को लेकर उठा है....
आज ओलंपिक में जब मूलनिवासी समाज की दीपा कर्माकर ने भारत के लिए एक उम्मीद जगा दी है, तो ऐसे में महान ओलंपिक खिलाड़ी ‘खाशाबा दादासाहेब जाधव उर्फ के.डी.जाधव’ का जिक्र करना भी जरूरी है. इस महान ओलंपिनय ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक के...
गुजरात के एक गांव से दलितों पर हो रहे अत्याचार की खबर आई है. वहां दलितों के 27 परिवारों को उन्हीं के गांव से निकाल दिया गया. ये सभी परिवार अब अपने गांव से 15 किलोमीटर दूर शरणार्थियों की तरह रहने पर मजबूर हैं....
भारतीय इतिहासकारों ने सन् 1857 की क्रान्ति को स्वतंत्रता संग्राम का पहला आन्दोलन बताया है. हकीकत में सन् 1857 से 100 साल पहले आदिवासियों ने स्वतंत्रता आन्दोलन शुरू कर दिया था. "क्रान्ति कोष" के लेखक श्री कृष्ण "सरल" ने राष्ट्रीय आन्दोलन का काल सन्...
आज जब देश में राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ी हुई है, कांशीराम जी द्वारा दिए गए राष्ट्रवाद की परिभाषा गौर करने लायक है. मान्यवर कांशीराम दो राष्ट्रवाद के सिद्धान्त की बात कहते थे. एक वो जो सताए जाते हैं उनका राष्ट्रवाद और दूसरे जो सताते...
आज के समय में भारतीय राजनीति की बात करें तो देश समाज का विकास नहीं वल्कि उसे नष्ट करने के लिए दीमक के समान अंदर ही अंदर खोखला किये जा रहा है. आने वाला समय देश व समाज के लिए घातक होता जा रहा...