नई दिल्ली। जबसे केंद्र में भाजपा सरकार आई है तबसे दलितों के साथ भेदभाव और बढ़ गया है. यह भेदभाव हर स्तर पर हो रहा है. सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक भेदभाव के अलावा अब रोजगार के मामले में दलितों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
रोजगार में भेदभाव से जुड़ा यह मामला गृह मंत्रालय का है. जहां इंटेलिजेंस ब्यूरो में सहायक केंद्रीय खुफिया अधिकारी की 1300 भर्तियां निकली है. गृह मंत्रालय की वेबसाइट जारी विज्ञापन में इसका विवरण दिया गया है. इस विवरण में 1300 में 951 सीटें अनारक्षित वर्ग के लिए है. ओबीसी के लिए 184 सीट जबकि 109 सीट एससी और 56 सीट एसटी वर्ग के लिए दी गई है. विज्ञापन में दिव्यांगों के लिए कोई वैकेंसी नहीं है.
इसके अलावा एक्स सर्विसमेन की 130 भर्तियों में 95 अनारक्षित वर्ग के लिए पद है जबकि ओबीसी के लिए 19, एससी के लिए 11 और एसटी के लिए मात्र 5 पद दिए गए हैं.
विज्ञापन में दिया गया उपरोक्त विवरण संवैधानिक रूप से अनुचित है. भर्ती के हिसाब से 1300 में 650 सीटें अनारक्षित वर्ग की बनती है. जबकि एससी 204 , ओबीसी 351 और एसटी के लिए 91 सीटों का अधिकार बनता है.
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गृह मंत्रालय के इस विज्ञापन में ओबीसी, एससी और एसटी को कुल मिलाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है जबकि ये आबादी का 85 प्रतिशत हिस्सा है. इन सभी को 49.5 प्रतिशत आरक्षण देना इनका संवैधानिक हक है. अगर इससे कम आरक्षण मिलता है तो यह संविधान का उल्लंघन है. इस विज्ञापन में अनारक्षित वर्ग को लगभग 73 प्रतिशत सीटों का लाभ मिल रहा है.
इस तरह से सरकार दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के साथ भेदभाव कर रही है. इससे यह भी साबित होता है कि सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. सरकार अपने आप को दलित हितैषी बताती है लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं है.
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