नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हज सब्सिडी पूर्ण रूप से खतम करने का ऐलान कर दिया है. सरकार के इस फैसले से सियासत गरमाती दिखाई दे रही है. हालांकि, हज सब्सिडी को खत्म करने की शुरुआत 2012 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से हो गयी थी जिसके मुताबिक 2022 तक सब्सिडी खतम हो जानी चाहिए थी. खास बात यह है कि ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन करते नज़र आ रहे हैं.
अपनी प्रतिक्रिया में औवेसी ने कहा है कि वो तो सन 2006 से ही कह रहे हैं कि हज सब्सिडी ख़त्म कर देनी चाहिए और इसका इस्तेमाल मुस्लिम बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए, खास तौर पर लड़कियों की शिक्षा पर. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में काम शुरू कर देना चाहिए.
गरीब नवाज फाउंडेशन के अध्यीक्ष मौलाना अंसार रजा ने भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी, उन्होंने कहा “हज सब्सिडी को खत्मे करना एक अच्छाल कदम है. अब इस राशि का बच्चों की पढ़ाई पर इस्तेोमाल करने की भी बात कही गई है. लेकिन, ये जो तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं, जैसे कभी तीन तलाक तो कभी बिना मेहरम के हज…ये सब ठीक नहीं है. मुस्लिम समुदाय को जिस तरह से खौफजदा करने की कोशिश की जा रही है वह ठीक नहीं है. हज सब्सिडी को खत्मम करने में कोई हर्ज नहीं है. वैसे भी यह सिर्फ नाम के लिए था. इसका कोई फायदा नहीं मिलता था.”
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्र मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने मंगलवार को हज सब्सिडी ख़त्म करने के सरकार के फ़ैसले की पुष्टि की. मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा, आज़ादी के बाद पहली बार 1.75 लाख मुसलमान बिना सब्सिडी के हज करेंगे. पिछले साल 1.25 लाख लोग हज गए थे.
उन्होंने कहा कि सब्सिडी हटाने के फ़ैसले से सरकार के 700 करोड़ रुपये बचेंगे और ये पैसा अल्पसंख्यक की शिक्षा ख़ासकर लड़कियों की तालीम पर खर्च किया जाएगा.
गन्धर्व गुलाटी

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