ठाणे। अब किसी लड़की को ‘छम्मकछल्लो’ कहा तो खैर नहीं है. जी हां ठाणे की एक अदालत ने ‘छम्मकछल्लो’ शब्द का इस्तेमाल कर उसे बुलाना ‘एक महिला का अपमान करने’ के बराबर कहा है. अमूमन स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में पुरुष बिना सोचे-समझे लड़कियों के लिए कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं जो गलत इशारा देते हैं. अदालत के इस फैसले के बाद उम्मीद है कि इन शब्दों को बोलते हुए वो दो बार सोचेंगे. क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो कोर्ट में पेशी के लिए जाते ही नजर आएंगे.
एक मजिस्ट्रेट ने पिछले सप्ताह शहर के एक निवासी को ‘अदालत के उठने तक’ साधारण कैद की सजा सुनाई थी और उस पर एक रुपए का जुर्माना लगाया था. आरोपी के एक पड़ोसी ने उसे अदालत में घसीटा था. पड़ोसी महिला की शिकायत के अनुसार, 9 जनवरी 2009 को जब वह अपने पति के साथ सैर से लौट रही थी, तब उसे एक कूड़ेदान से ठोकर लग गई. महिला ने कहा कि यह कूड़ेदान उक्त आरोपी ने सीढ़ियों पर रखा था.
आरोपी इस दंपति पर चिल्लाने लगा और उन्हें कई चीजें कहने के बीच उसने महिला को ‘छम्मकछल्लो’कहकर पुकारा. इस शब्द से गुस्साकर महिला ने पुलिस से संपर्क किया, लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया. तब महिला ने अदालत का रुख किया. 8 साल बाद, न्यायिक मजिस्ट्रेट आर टी लंगाले ने उनके मामले को उचित ठहराते हुए कि आरोपी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 509 (शब्द, इशारे या किसी गतिविधि से महिला का अपमान) के तहत अपराध किया है.
मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, यह एक हिंदी शब्द है. अंग्रेजी में इसके लिए कोई शब्द नहीं है. भारतीय समाज में इस शब्द का अर्थ इसके इस्तेमाल से समझा जाता है. आम तौर पर इसका इस्तेमाल किसी महिला का अपमान करने के लिए किया जाता है. यह किसी की तारीफ करने का शब्द नहीं है, इससे महिला को चिढ़ होती है और उसे गुस्सा आता है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल कोर्ट में साल 2009 में एक मामला आया था. जिसमें एक महिला ने अपने पड़ोसी को अदालत में घसीटा था क्योंकि उसने उस महिला को ‘छम्मकछल्लो’ कह दिया था. महिला की शिकायत के मुताबिक, 9 जनवरी 2009 को जब वह अपने पति के साथ सैर से लौट रही थी, तब उसे एक कूड़ेदान से ठोकर लग गई. महिला ने कहा कि वो कूड़ेदान उनके पड़ोसी ने ही सीढियों पर रखा था.
आरोपी इसके बाद दंपति पर चिल्लाने लगा और उन्हें बुरा-भला कहने के बीच उसने महिला को ‘छम्मकछल्लो ‘ कहकर पुकारा. इस शब्द से गुस्सा होकर महिला ने पुलिस से संपर्क किया लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया. तब महिला ने अदालत का रुख किया.
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