क्या चंद्रशेखर आजाद और केसीआर ने सेल्फ गोल कर लिया है?

871

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद अपने तेलंगाना दौरे के दूसरे दिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर से मिले। इससे पहले चंद्रशेखर आजाद केसीआर की बेटी कविता राव से भी मिल चुके हैं। इस दौरान चंद्रशेखर लगातार केसीआर सरकार की तारीफें करते दिखे। चंद्रशेखर ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें कविता दीदी ने खाने पर बुलाया था। लेकिन साफ है कि जब दो राजनीतिक लोग साथ बैठते हैं तो बात राजनीति की भी होती है।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि केसीआर द्वारा चंद्रशेखर आजाद को इतनी तव्वजो देने की वजह आखिर है क्या? क्या कहीं केसीआर तेलंगाना के पूर्व आईपीएस अधिकारी और फिलहाल तेलंगाना में बसपा की कमान संभाल रहे आर.एस. प्रवीण कुमार से डर गए हैं। और इसी वजह से दलितों के बीच उभरते नेता चंद्रशेखर आजाद को अपने साथ लाकर दलितों को संदेश देना चाह रहे हैं?

अगर ऐसा है तो यह विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े तेलंगाना में बसपा की  बड़ी राजनीतिक जीत है। और केसीआर ने बसपा को ताकतवर मानकर राजनीतिक तौर पर सेल्फ गोल कर लिया है।

 

तेलंगाना में 17 प्रतिशत दलित वोट है जो एक बड़ा फैक्टर है। तेलंगाना में किसी पार्टी की सरकार बनाने में उसकी बड़ी भूमिका होगी। इसे बसपा के पक्ष में लाने के लिए आर.एस प्रवीण लगातार बहुजन राज्याधिकार यात्रा पर चल रहे हैं, इसके जरिये बसपा तेजी से लोगों के बीच पहुंच रही है। तो वहीं इसमें एससी-एसटी सोशल वेलफेयर स्कूल के सेक्रेटी रहने के दौरान आर. एस. प्रवीण ने जिन लाखों बच्चों की जिंदगी बदली थी, उनका और उनके परिवार का समर्थन भी उन्हें खूब मिल रहा है। कुछ मिलाकर तेलंगाना चुनाव में बहुजन समाज पार्टी अपनी मजबूत उपस्थिति से सबको चौंका सकती है।केसीआर इसी से डरे हुए हैं। यही वजह है कि वह भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को अपने साथ लाए हैं।

तो वहीं अपने दो दिनों के तेलंगाना दौरे के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने जिस तरह केसीआर के पक्ष में बयान दिया है, उससे साफ दिख रहा है कि भीम आर्मी प्रमुख केसीआर को अपना समर्थन देने को तैयार है। लेकिन यहां सवाल यह भी है कि राजनीति में समझौते ऐसे ही नहीं होते, बात अपने-अपने फायदे की भी होती है। तो केसीआर के साथ और आर.एस. प्रवीण के खिलाफ खड़े होने में आजाद समाज पार्टी और चंद्रशेखर आजाद का फायदा क्या है?

जहां तक चंद्रशेखर आजाद की राजनीति की बात है तो अब तक आजाद समाज पार्टी कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं होने पर चंद्रशेखर का मायूस होने के वीडियो ने उल्टा उनकी छवि को कमजोर ही किया। कुल मिलाकर उनका कोई भी राजनीतिक फैसला ऐसा नहीं रहा है, जिससे लगे कि पार्टी राजनीतिक तौर पर परिपक्व हो रही है। अब तेलंगाना जाकर चंद्रशेखर ने एक और राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है। क्योंकि तेलंगाना में बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख रिटायर्ड आई.पी.एस अधिकारी आर.एस. प्रवीण हैं।

आर.एस प्रवीण लंबे समय तक तेलंगाना सोशल वेलफेयर एंड रेजिडेंशियन इंस्टीट्यूट के सेक्रेट्री रहे हैं। इस दौरान उन्होंने लाखों एससी-एसटी बच्चों की जिंदगी बदल दी थी। इस नाते देश भर के अंबेडकरवादियों के बीच वह खासे लोकप्रिय हैं। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद का केसीआर के साथ आने पर देश भर के अंबेडकरवादी सवाल उठा रहे हैं। तो क्या यह राजनीतिक तौर पर चंद्रशेखर के लिए एक और गलत फैसला है। अगर हां, तो चंद्रशेखर आजाद ने कहीं सेल्फ गोल तो नहीं कर लिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.