28 जून को खुद पर हुए हमले के बाद भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण पहले एक जुलाई को राजस्थान के भरतपुर में गरजे। और अब एक नए जंग की तैयारी में हैं। चंद्रशेखर आजाद ने अपने समर्थकों से 21 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आने की अपील की है। इसका ऐलान उन्होंने बुधवार 12 जुलाई की शाम को फेसबुक लाइव होकर किया।
चंद्रशेखर ने कहा कि आप जानते हैं कि 28 को क्या हुआ। लेकिन अब हजारों चंद्रशेखर हैं। देश के कोने-कोने में हैं। चंद्रशेखर ने कहा कि वो मनुवादियों की आंखों में चुभते हैं। उनका बस चले तो चंद्रशेखर के छोटे-छोटे टुकड़े कर दें। भीम आर्मी चीफ ने कहा कि लेकिन मैं अकेला नहीं हूं; जिनको ऐसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। जिन्होंने भी समाज के लिए काम किया, उन्हें यह झेलना ही पड़ता है।
अपने करीब 25 मिनट के फेसबुक लाइव में चंद्रशेखर आजाद का जज्बा साफ दिखा। उन्होंने कहा कि मेरे आंदोलन के कुछ लोगों की दीवारें हिलेंगी। लेकिन मैं उनकी गोलियों से डरकर नहीं रुकूंगा। मैं चंद्रशेखर आजाद हूं। मैं आजाद पैदा हुआ हूं, आजाद जीयूंगा और आजाद मरूंगा।
अपने ऊपर चली गोली को चंद्रशेखर ने एक संदेश बताया। तमाम नेताओं का जिक्र किया और कहा कि मुझे डर नहीं है। इसके बाद आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद मुद्दे पर आएं, और समाज से सम्मान को बचाने की अपील कर डाली। चंद्रशेखर ने कहा कि बहुजन समाज को लगातार लूटा गया है। उन्होंने ऐलान किया कि यह लड़ाई कमेरा बनाम लुटेरा की है।
अपने संबोधन में भीम आर्मी प्रमुख ने मनुवादियों पर जमकर निशाना साधा और उन्हें सीधी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि वो मेरे खून से होली खेलना चाहते हैं। लेकिन मैं उनका पहला शिकार हो सकता हूं, आखिरी नहीं। चंद्रशेखर ने कहा कि यह मूंछ की लड़ाई है। और आपका भाई, आपका खून, आपका इंतजार करेगा।
अब देखना होगा कि भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की इस अपील का क्या असर होगा। हालांकि यहां एक बात और ध्यान देने वाली है। चंद्रशेखर आजाद समर्थकों और समाज के लोगों का आवाह्न अपनी पार्टी के बैनर तले नहीं कर रहे, बल्कि भीम आर्मी की स्थापना दिवस पर बुला रहे हैं। तो क्या राजनीतिक गोलबंदी से इतर मनुवादियों के अत्याचार से लड़ने के लिए बनी भीम आर्मी के बैनर तले समर्थकों का आवाह्न कर चंद्रशेखर अपने ऊपर हमला करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देना चाहते हैं? और इसी बहाने अपनी राजनीतिक ताकत भी दिखाना चाहते हैं।
चंद्रशेखर की इस अपील का कितना असर होगा, और उसका चंद्रशेखर आजाद सहित दलितों की राजनीति पर क्या असर होगा, यह तो 21 जुलाई को जुटने वाली समर्थकों की भीड़ से ही तय हो पाएगा।