भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पर हमले के बाद उनसे मिलने वालों का जिस तरह तांता लगा रहा, उससे बसपा चौकन्नी हो गई है। युवा चेहरे के रूप में जिस तरह चंद्रशेखर आजाद को दलितों के बीच स्वीकारा जा रहा है, उसने बसपा पर एक मजबूत युवा चेहरे को सामने लाने का दबाव बना दिया है। शायद यही वजह है कि इस बार महीनों बाद बहुजन समाज पार्टी की बैठक दिल्ली में हुई। और नजारा भी बदला सा रहा।
आम तौर पर बैठक के दौरान बसपा सुप्रीमों मायावती ऊपर कुर्सी पर बैठती हैं, जबकि अन्य नेता सामने कुर्सी पर बैठते हैं। लेकिन इस बार बहनजी के साथ मंच पर नेशनल को-आर्डिनेटर आकाश आनंद और उनके पिता आनंद कुमार भी बैठे। आकाश को बसपा सुप्रीमों ने हाल ही में चार चुनावी राज्यो की जिम्मेदारी भी दी है। यानी कि अब तक बहनजी तमाम जिम्मेदारियां देकर आकाश आनंद के कद को धीरे-धीरे बढ़ाती रही हैं, लेकिन पहली बार आकाश को अपने बगल में बैठाकर बहनजी ने साफ कर दिया है कि पार्टी में नंबर दो आकाश ही होंगे।
तो साथ ही चंद्रशेखर के काट के रूप में युवा चेहरे के तौर पर आकाश को सामने खड़ा कर भी बहनजी ने दलित समाज को संदेश देने की कोशिश की है। हालांकि आकाश आनंद के सामने चंद्रशेखर के रूप में एक मजबूत चुनौती है। क्योंकि चंद्रशेखर आजाद ने जहां अपने संघर्ष के बूते अपनी पार्टी बनाई है, तो वहीं आकाश को अपने बुआ की विरासत मिल रही है। ऐसे में आकाश आनंद के सामने खुद को साबित करने की चुनौती बनी हुई है। देखना होगा कि जब दोनों चुनाव में जनता के बीच जाते हैं तो जनता किसे अपना नेता चुनती है। क्योंकि कोई चाहे किसे भी उत्तराधिकारी घोषित कर दे, लोकतंत्र में नेता तो जनता ही चुनती है।
सिद्धार्थ गौतम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पत्रकारिता और लेखन में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ स्वतंत्र लेखन करते हैं। दिल्ली में विश्वविद्यायल स्तर के कई लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता रहे हैं।