रायपुर। चुनाव नजदीक आते हीं बसपा ने अपनी रणनीति के अनुसार काम शुरू कर दिया है. पिछड़ा वर्ग को लेकर राजनीति करने वाली बसपा ने ओबीसी कार्ड फेंक दिया है. छत्तीसगढ़ रमन सिंह के गढ़ में बसपा ओबीसी नेताओं के सहारे चुनाव लड़ेगी. पिछड़ा वर्ग में पकड़ बनाने और उन्हें साधने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा की सीटों पर ज्यादा से ज्यादा ओबीसी कैंडिडेट उतारने की रणनीति बनाई है.
पार्टी नेताओं का कहना है कि पिछड़ा वर्ग के लिए प्रदेश में बसपा से बेहतर विकल्प नहीं है. राजधानी रायपुर में रविवार को बसपा के पिछड़ा वर्ग चेतना सम्मेलन में प्रदेश के ओबीसी वर्ग को साधने का प्रयास किया गया. सम्मेलन को प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 52 फीसदी प्रतिनिधित्व देने की मांग की गई. चेतना सम्मेलन में पार्टी ने दावा किया कि अगर बसपा सत्ता में आई तो वो छत्तीसगढ़ के पिछड़ा वर्ग की आरक्षण समेत सभी संवैधानिक मांगों को पूरा करेगी.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश बाजपेयी ने बताया कि पिछड़ा वर्ग को पार्टी से जोड़ने के लिए इस बार विधानसभा चुनाव में ओबीसी उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उतारने की रणनीति बनाई जा रही है. क्योंकि चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां केवल चुनाव के वक्त ही ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए झूठे वायदे करती है. जबकि बसपा ओबीसी वर्ग की भलाई के लिए जमीनी और ठोस काम करने पर भरोसा करती है. बहुजन समाज पार्टी राज्य के सभी 27 जिलों में पिछड़ा वर्ग चेतना सम्मेलन का आयोजन करेगी. जुलाई में पार्टी की नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी होना है.
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