मोरबी। गुजरात के मोरबी जिले में एक स्कूल ने चार दलित बच्चों को एडमिशन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इन बच्चों का घर स्कूल से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. स्कूल की इस मनमानी के खिलाफ इन दलित बच्चों के परिवारवाले जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के बाहर पिछले डेढ़ महीने से धरना दे रहे हैं. बीते बुधवार (28 जून) को हाई कोर्ट ने इसे ‘कानून का मजाक’ बताते हुए मोरबी जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई और स्कूल का आदेश रद्द कर दिया.
इन बच्चों का एडमिशनसर्वोपरि स्कूल में पिछले साल शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के तहत हुआ था. बताया जा रहा है कि स्कूल प्रशासन ने बच्चों का एडमिशन निरस्त करने के लिए उस नियम की आड़ ली जिसमें कहा गया है कि बच्चों का घर स्कूल से 3 किलोमीटर की दूरी पर होना चाहिए. लेकिन बच्चों के परिवारवालों ने बताया कि उनसे ट्रांसपॉर्टेशन फीस के नाम पर 12,000 रुपये मांगे जा रहे थे जिसे देने से इनकार करने पर बच्चों को स्कूल आने से रोक दिया गया.
इसके बाद बच्चों का स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर भेज दिया गया. विरोध में इन बच्चों के परिवारवाले पिछले डेढ़ महीने से DEO दफ्तर के बाद धरना दे रहे हैं, पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. जानकारी मिलने पर राजू सोलंकी नाम के एक RTE कार्यकर्ता इस मामले को हाई कोर्ट ले गए.
हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए राज्य सरकार और मोरबी जिला प्रशासन को RTE को सही तरीके से लागू न करने के लिए कड़ी फटकार लगाई. इसे कानून का मजाक बताते हुए कोर्ट ने स्कूल के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि बच्चों को उनकी पढ़ाई जारी रखने दी जाए. कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाते हुए जवाब तलब किया है. मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस एसजी शाह ने कहा कि इस मामले में सरकारी अधिकारी स्कूल का पक्ष ले रहे हैं जो सही नहीं है.
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