संविधान दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए मैं अमरावती में था. महाराष्ट्र के विदर्भ में यह नागपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा मुख्यालय है. कार्यक्रम बामसेफ की तरफ से आयोजित किया गया था. संत गाडगेबाबा की प्रतिमा लगे यहां के सांस्कृतिक भवन में तकरीबन हजार लोगों की क्षमता वाला यह हॉल पूरी तरह भरा था. जाहिर सी बात है कि कार्यक्रम शानदार रहा. अमरावती से नागपुर एयरपोर्ट लौटते हुए रास्ते में कम से कम दर्जन भर जगहों पर संविधान दिवस का कार्यक्रम मनते देखा. यह सिर्फ महाराष्ट्र के दो शहरों का जिक्र है. जो लोग भी संविधान दिवस और उसके बाद 27 नवंबर को सोशल मीडिया से गुजरे होंगे, उन्हें यह अंदाजा हो गया होगा कि देश भर में किस धूम के साथ यह कार्यक्रम मनाया गया.
दो साल पहले तक ऐसा नहीं था. कुछ खास जगहों पर ज्यादा जागरूक लोगों के बीच ही ऐसे कार्यक्रम देखे जा सकते थे. लेकिन संविधान दिवस का यह कार्यक्रम अब छोटे कस्बों तक में पहुंच गया है. यह बड़ी बात है. दिल्ली में तो पिछले कुछ सालों से अम्बेडकरवादी इस दिन इंडिया गेट पर एकत्रित होते हैं और पिकनिक मनाते हैं. यहां वो पूरे परिवार के साथ पहुंचते हैं और बाबासाहेब को याद करते हैं. इस विशेष दिन इंडिया गेट पर पहुंचने वाले लोगों का काफिला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. संभव है कि आने वाले वर्षों में यह दिन भी 14 अप्रैल की तरह देश के हर छोटे-बड़े शहर और कस्बे में मनने लगे.
यह बड़ी बात है, क्योंकि देश संविधान से चलता है और जब देश का बहुसंख्यक समाज संविधान को जानने-समझने लगता है तब यह एक नई शुरुआत जैसी होती है. क्योंकि संविधान जानने वाला व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने लगता हैं और एक जागरूक व्यक्ति देश की राजनीति को बदल सकने तक में सक्षम होता है.
हालांकि संविधान दिवस को एक विशेष वर्ग द्वारा ही सेलिब्रेट किया जाना दूसरे पक्ष पर सवाल खड़ा करता है. देश का संविधान सबका है. यहां रहने वाला हर व्यक्ति उसी संविधान के जरिए संचालित होता है. फिर एक वर्ग संविधान दिवस के सेलिब्रेशन से दूर क्यों है?
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।