रायपुर। दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले के ताड़मेटला, तिम्मापुर और मोरपल्ली गांवों में आदिवासियों के घर जलाने की घटना की जांच कर रही सीबीआई ने पांच साल बाद शुक्रवार को कोर्ट में चार्जशीट पेश की. सीबीआई ने बताया कि आगजनी कांड को सुरक्षा बलों ने ही अंजाम दिया. सुनवाई के दौरान जस्टिस मोहन बी लोकुर व आदर्श गोयल की बेंच ने सरकार को शांति स्थापना के प्रयास करने तथा नक्सलियों से बातचीत शुरू करने को कहा.
कोर्ट ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि 2016 का शांति का नोबेल पुरस्कार कोलंबिया सरकार व वहां युद्धरत गुरिल्ला आर्मी एफएआरसी के बीच समझौता हुआ है. कोर्ट ने मिजोरम और नगालैंड में शांति स्थापना का भी उदाहरण दिया. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि वे नक्सलियों से बातचीत की जरूरत को सरकार के उच्च स्तर पर जरूर उठाएंगे. हालांकि मेहता ने यह भी कहा कि बातचीत से समस्या का तत्कालीन समाधान ही निकल सकता है. जरूरत स्थायी शांति की है.
ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुर गांवों को आग के हवाले करने की घटना 11 से 16 मार्च 2011 के बीच तब हुई, जब फोर्स इस इलाके में गश्त पर थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दंतेवाड़ा के तत्कालीन एसएसपी और बस्तर के वर्तमान आईजी एसआरपी कल्लूरी के आदेश पर इन गांवों में पुलिस का गश्ती दल भेजा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई 2011 को मामला सीबीआई को सौंपा था. जांच के दौरान सीबीआई को भी धमकी मिली तथा अफसरों पर हमला किया गया. सीबीआई ने एसपीओ और जुडूम नेताओं सहित 35 लोगों पर आईपीसी की धारा 34, 147, 149, 323, 341, 427 व 440 के तहत मामला दर्ज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 357 के तहत पीड़ितों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.
ताड़मेटला, तिम्मापुर और मोरपल्ली गांवों में आगजनी और हिंसा फोर्स ने की. मोरपल्ली गांव के माड़वी सुला तथा पुलनपाड़ गांव के बड़से भीमा और मनु यादव की हत्या की गई. तीन महिलाओं से रेप किया गया, जिनमें दो मोरपल्ली गांव की हैं और एक ताड़मेटला की. मोरपल्ली में 33 घर, तिम्मापुर में 59 तथा ताड़मेटला में 160 घरों को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया.
26 मार्च 2011 को स्वामी अग्निवेश जब मदद लेकर उन गांवों में जाने की कोशिश कर रहे थे तो दोरनापाल में उन पर तथा उनके सहयोगियों पर जानलेवा हमला किया गया. इस घटना में जुडूम लीडर शामिल थे. रेप व मर्डर के मामलों की जांच अभी जारी है. मामले में जुडूम नेताओं पी विजय, दुलार शाह, सोयम मुक्का सहित 26 अन्य तथा सात एसपीओ के खिलाफ सीबीआई कोर्ट रायपुर में चार्जशीट पेश की गई है.
मामले में याचिकाकर्ता नंदिनी सुंदर ने कहा कि सीबीआई की जांच ने पुलिस के उस झूठ का पूरी तरह से पर्दाफाश कर दिया है, जिसमें वह कहती रही है कि आगजनी नक्सलियों ने की थी. साफ है कि बस्तर में सब गैरकानूनी काम फोर्स कर रही है. मीडिया रिपोर्ट से आगजनी और रेप तथा मर्डर का खुलासा हुआ तो सुकमा पुलिस ने डीएस मरावी की ओर से एफआईआर दर्ज की, लेकिन उसमें रेप व मर्डर का जिक्र नहीं किया गया. सरकार व कल्लूरी ने तब मीडिया रिपोर्ट को प्रपोगेंडा कहा था.

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