पटना। बिहार में नीतीश कुमार खुद को सुशासन बाबू के तौर पर पहचाना जाना पसंद करते हैं. तो वहीं पीएम मोदी ने अपनी छवी विकास पुरुष की गढ़ी है. फिलहाल बिहार में सुशासन बाबू और विकास पुरुष की पार्टी मिलकर सरकार भी चला रहे हैं. लेकिन बिहार के विकास को लेकर इन दोनों नेताओं में ठन गई है. प्रदेश में सड़क निर्माण परियोजना से जुड़े मामले में दोनों आमने-सामने हैं.
नीतीश कुमार की सरकार ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के उस बयान को झूठा करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में दो लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं पर काम चल रहा है. गडकरी के इस बयान पर बिहार पथ निर्माण विभाग की ओर से जारी प्रेस रिलीज में साफ किया गया कि बिहार में सिर्फ 54 हजार 700 करोड़ रुपये की ही सड़क परियोजना पर काम चल रहा है. इस परियोजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 के चुनाव के दौरान विशेष पैकेज के तौर पर की थी.
बिहार सरकार ने केंद्रीय मंत्री गडकरी के उस आरोप को भी खारिज किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सड़क निर्माण के लिए जमीन देने में राज्य सरकार देरी कर रही है. प्रेस रिलीज में कहा गया कि सिर्फ चार ऐसी परियोजानएं है, जिसमें जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. बाकी सभी परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराई जा चुकी है.
मजेदार बात यह है कि बीजेपी कोटे के पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है. पथ निर्माण विभाग के मुताबिक प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के अंतर्गत कुल 82 सड़क परियोजनाएं शामिल है, जिनकी अनुमानित लागत 54 हजार 700 करोड़ रुपये है. इनमें से 24 परियोजनाएं एनएचएआई के जिम्मे हैं, जबकि 58 योजनाओं का निर्माण बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग द्वारा किया जाना है.
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