एक बहुत ही गंभीर बात है. 1857 में गाय की चर्बी कारतूस में होने के चलते अंग्रेजों की फौज में जीवन- यापन के लिये काम करने वाले सैनिकों नें हथियार डाल दिये थे और लड़ने से इन्कार कर दिया था. इस धार्मिक आपत्ति को अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करार देकर भारत का प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन घोषित कर दिया गया था. जैसे कारतूस में गाय की चर्बी की बात लोगों को पता नहीं थी उसी तरह अब तक आमलोगों को यह पता नहीं है की क्रिकेट का सबसे उत्कृष्ट व बेहतरीन चिकनाई वाला बॉल गाय के ही चमड़े से बनता है. अब सवाल यह है कि जब कारतूस में गाय की चर्बी होने से धर्म भ्रष्ट हो सकता है तो क्रिकेट बॉल में गाय का चमड़ा होने से क्या यह नहीं होगा?
अगर उपर्युक्त सवाल सही है तो यह तथाकथित हिन्दू धर्म और उसके मानने वाले लोगों को भ्रष्ट करने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश है कि इस विदेशी खेल ‘क्रिकेट’ बना कर हर गली- मुहल्ले व घर- परिवार में घुसा दिया गया है. देश के सभी हिन्दू क्रिकेट खिलाड़ियों से और जिस किसी हिन्दू ने जीवन में कभी भी क्रिकेट बॉल छुआ है, उन सभी से सख्त अपील है कि गंगा स्नान कर अपना- अपना शुद्धिकरण हरिद्वार या संगम तट पर करायें. जो क्रिकेट खेलते हुये मर गये उनकी अशुद्ध आत्मा को ‘गया (बिहार)’ में अर्पण- तर्पण कराकर मुक्ति दिलायें. यह सब रहस्योदघाटन होने के बाद सभी हिन्दू मान्यता वालों को क्रिकेट का खुलकर बहिष्कार करना चाहिये. यही नहीं हिन्दू धर्म मानने वालों को शपथ लेनी चाहिये कि क्रिकेट बॉल छुना तो दूर, जीवन में कभी क्रिकेट नहीं खेलेंगे.
कितनी बुरी व तकलीफ की बात है कि वो गाय जिसे सभी हिन्दू अपनी माता मानते हैं, उसके मरने के बाद मृत शरीर का चमड़ा छीलकर- निकालकर क्रिकेट का बॉल बनता है. एक बॉलर उसे जोर से पटककर बॉलिंग करता है और बैट्समैन कितनी बेदर्दी से शॉट मारता है. इसी चौके- छक्के वाले शॉट पर सभी ताली बजाते हैं. ताली बजाने वालों में हिंदुओं भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. इस गाय समर्थक एवं क्रिकेट विरोधी विचार पर गैर हिंदुओं को आपत्ति हो सकती है तो अन्यथा न लें, संविधान में दिये गये धार्मिक मान्यता की स्वतंत्रता के लिहाज से क्रिकेट खेल सकते हैं.
अभी हाल ही में भारत की पर्यावरण नीति से संबंधित एक ड्राफ्ट के बारे में पता चला कि वह अमेरिकी पर्यावरण नीति का ही हूबहू नकल किया गया है, वह भी बिना रेफरेंस नोट या आभार व्यक्त किये. यह खबर पूरी सोशल मीडिया पर छाई हुई है. जिन महानुभव के मंत्रालय के अंतर्गत यह कॉपी- पेस्ट पॉलिसी ड्राफ्ट हुआ वो ब्रह्मज्ञानी श्री प्रकाश जावडेकर जी अब मानव संसाधन मंत्री बन चुके हैं. वैसे भी भारत की शिक्षा नीति, आर्थिक नीति, विदेश नीति तो अमेरिका के ही रास्ते पर, उसके ही आदेश- निर्देश का पालन करते हुये चलती है तो क्यों नहीं भारत की खेल नीति भी अमेरिका के हिसाब से कॉपी- पेस्ट कर बनाई जाती है जिसमें क्रिकेट जैसे घटिया खेल के लिये कोई जगह नहीं है. वैसे भी क्रिकेट ब्रिटिश साम्राज्यवाद का प्रतीक खेल माना जाता है, जिसमें गाहे- बगाहे आतंकियों के भी पैसे लगे होने की बात कई बार खबरों की सुर्खियां भी बनती रही हैं.
क्रिकेट के बॉल का दाम पिछले एक साल में दुगना हो गया है यानि 400 रूपये से बढ़कर 800 रूपये हो गया है. क्रिकेट बॉल की इस बढ़ी हुई महंगाई में आम जनता के न समझ पाने वाला वो पेंच कहीं नहीं है कि पेट्रोल- डीजल का दाम लगातार घटने पर भी वस्तुओं- फल, सब्जी, अनाज, का दाम क्यों नहीं घटता है! क्रिकेट बॉल बनाने के लिये आमतौर पर गाय के चमड़े का इस्तेमाल होता आया है लेकिन केन्द्र में बीजेपी सरकार आने के बाद राजनीतिक कारणों से उत्तर प्रदेश में गौमांस पर रोक लगा दी गई है. हालांकि भारत के कई राज्यों केरल, पश्चिम बंगाल, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में गाय का वध वैध/ मान्य है. लेकिन बदले राजनीतिक माहौल के चलते गौमांस व चमड़े की खरीद- बिक्री व परिवहन एक चुनौतिपूर्ण खतरनाक काम हो गया है जिसपर अखलाक का साया पड़ गया है. इन्हीं सब कारणों से उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित वो खेल कारखाने जो क्रिकेट बॉल बनाते हैं संकटकाल से गुजर रहे हैं. लेकिन जब हिन्दू धर्म पर ही संकट माना जा रहा हो तो व्यापार- उद्योग को कौन पूछे, इन धंधों पर निर्भर लोग कोई दूसरा जीवन- यापन का रास्ता तलाश सकते हैं.
सरकार और सरकार की आड़ में हिन्दूवाद- राष्ट्रवाद की ठेकेदारी करने वाले लोगों ने गौहत्या, गौमांस की बिक्री व गाय के चमड़े- अवशेषों आदि के परिवहन को लेकर सख्ती का माहौल बना रखा है. देश में कई घटनायें घट चुकी हैं जिनमें कट्टर हिन्दूवादी संगठन के लोगों ने गायों की तस्करी, गौमांस पकाने आदि शक के आधार पर कई लोगों को नृशंस हत्या भी कर दी है. इन सब कारणों से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की केन्द्र सरकार से मामले की गंभीरता- संवेदनशीलता को देखते हुये अपील है कि देशभर में गाय के चमड़े से बनने वाले क्रिकेट बॉल को खोजवाकर जब्त करे, साथ ही इस हिन्दू विरोधी खेल के भारत में खेले जाने पर रोक लगाकर धर्मनिरपेक्ष होने का सबूत दे. भारत सरकार आईपीएल पर भी अविलंब रोक लगाये जिसमें हवाला कारोबारियों एवं कॉरपोरेट- बिजनेस समूहों का कालाधन लगे होने की अफवाह- चर्चा आम जुबान से होती है. बीसीसीआई को भी नोटिस जारी कर सरकार सफाई मांगे और उसकी सभी सम्पत्ति को जब्त कर देश में क्रिकेट से इतर अन्य सभी खेलों के विकास में उस पैसे को लगाये.
भारत का संविधान हर धर्म का सम्मान करने की सीख देता है और सभी धर्मों के मान- सम्मान व भावना का ख्याल करना सिखाता है जिस बात से जाहिर है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और उनके नेतृत्व में चलने वाली सरकार को भी ऐतराज नहीं होगा. भारत में सरकार संविधान से चलती है और सरकार में शामिल सभी लोग संविधान के प्रति कर्तव्य निष्ठा की शपथ लेते हैं. इस लिहाज से भारत के किसी भी सरकार का पहला कर्तव्य है कि संविधान की रक्षा करे. अत: भारत सरकार से गुजारिश है कि गाय के चमड़े से बने बॉल से खेले जाने वाले क्रिकेट पर बैन लगाये और हिन्दू धर्म के सम्मान की रक्षा करे.
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Yes,cricket par jarur Ben lagna chahiy.yah British shasan ki hi yaad dilata h.