नई दिल्ली। समाज आगे बढ़ रहा है, देश आगे बढ़ रहा है, लोगों में शिक्षा बढ़ रही है लेकिन इन तमाम अच्छी बातों के बीच एक बात चौंकाने वाली है. दलित उत्पीड़न को लेकर जारी सरकारी संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट (2016) में इसी समाज का एक दूसरा चेहरा भी सामने आया है. यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले दस सालों में दलितों पर अत्याचार तेजी से बढ़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक दलितों पर होने वाले उत्पीड़न में पिछले दस सालों में 51 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है.
देश में दलितों की कुल आबादी 20.14 करोड़ है जो देश की कुल जनसंख्या का 16.6 प्रतिशत है. दलित समाज अपने अधिकारों को लेकर लगातार सजग हुआ है. उसकी जागरूकता के कारण अब वह अत्याचारों का विरोध करने लगा है. हालिया आकड़े के आधार पर हम कह सकते हैं कि इसी विरोध के कारण अब शोषित तबका उस पर अब औऱ जुल्म करने लगा है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में जो बदलाव हुए हैं उसको लेकर देश भर में प्रदर्शन हो रहा है. इसमें शीर्ष अदालत का यह कहना था कि इस एक्ट का गलत इस्तेमाल कर लोगों को फंसाया जाता है. सवर्ण समाज ने भी इस पर काफी हल्ला मचाया था. लेकिन नए आंकड़े बताते हैं कि झूठे मामले के 21 फीसदी केसों की संख्या घटकर अब 15 फीसदी हो गई है.
ऐसा दलितों में बढ़ती जागरूकता औऱ शिक्षा के कारण हुआ है. असल में कुछ वक्त पहले तक सामान्य वर्ग का एक व्यक्ति सामान्य वर्ग के दूसरे व्यक्ति से अपनी दुश्मनी निकालने के लिए अपने अधीन काम करने वाले अनुसूचित जाति के लोगों से झूठे मामले दर्ज करवा देता था. अपनी रोजी-रोटी जैसे जरूरी जरूरतों के लिए सामान्य वर्ग पर निर्भर रहने के कारण अनुसूचित जाति का व्यक्ति दबाव में मामले दर्ज करवा देता था. लेकिन अब इस वर्ग में शिक्षा का प्रसार होने और सामान्य वर्ग पर निर्भरता कम होने से झूठे मामलों में कमी आई है. लेकिन दलितों पर बढ़ रहे हमलों के कारण चिंता बढ़ गई है.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।