नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के स्कूलों में दलित समाज के बच्चों से भेदभाव को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक आज भी मध्य प्रदेश के स्कूलों में 92 प्रतिशत बच्चों के साथ भेदभाव होता है.चाइल्ड राइट ऑब्सरवेट्री और मध्यप्रदेश दलित अभियान संघ के हालिया सर्वे में खुलासा हुआ है कि 92फीसदी दलित बच्चों को आज भी स्कूलों में हैंडपंप और टंकी छूने पर पाबंदी है.
सर्वे के दौरान दलित बच्चों ने कहा कि जब गैरदलित बच्चे उन्हें ऊपर से पानी पिलाते हैं, तभी उनको पानी पीने को मिलता है. जबकि 28 फीसद बच्चों ने कहा कि वह घर जाकर ही पानी पीते हैं. यही नहीं, सर्वे के मुताबिक स्कूल में दलित बच्चों को क्लास में आगे बैठने की भी मनाही है. उन्हें पीछे और बीच की लाइन में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है, चाहे वह पढ़ने में कितना भी तेज हो.
इस सर्वे में शिक्षकों का दलित बच्चों के प्रति व्यवहार भी सामने आया है. 88 फीसद दलित बच्चों का कहना था कि शिक्षक उनके साथ भेदभाव करते हैं. तो 23 प्रतिशत बच्चों का यह भी कहना है कि शिक्षक उनसे ज्यादा सख्ती से पेश आते है.
यह सर्वे बुंदलेखंड, चंबल, महाकौशल एयर निमाड़ के 10 जिलों के 30 गाँवों के 412 दलित परिवारों के बीच किया गया है. बता दें कि मध्य प्रदेश और केंद्र में दोनों ही जगह भाजपा सरकार है. इस सर्वे का मानवीय पहलू यह भी है कि जब स्कूलों में बच्चों के साथ इतना भेदभाव होता है तो आखिर वो कैसे आगे बढ़ेंगे. आरक्षण के खिलाफ बहस करने वाले लोगों को पहले इस भेदभाव के खिलाफ लड़ना होगा.
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