नई दिल्ली। कर्नाटक के गोकर्णाना गांव में एक दलित परिवार के तीन भाई तीन सप्ताह के अंदर राश्न न मिलने की वजह से मर गए. एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इन्हें राशन देने से इनकार कर दिया गया, क्योंकि इनका राशन कार्ड आधार लिंक नहीं थे. इस रिपोर्ट के बाद पास एक एक एनजीओ ने इस मुद्दे को उठाया.
पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) नाम के गैर-सरकारी संगठन ने खोज शुरू की तो पता चला कि इस परिवार को आखिरी बार दिसंबर 2006 में सब्सिडी वाले चावल, गेहूं और चीनी प्राप्त हुई थी. साल 2006 के बाद से इन्हें औपचारिक रूप से राशन प्राप्त नहीं हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुकानदार ने इन्हें मार्च के महीने में मुफ्त सामान दिया था.
नारायण, वेंकटतारम और सुबुबु मारू मुखरी अपनी मां के साथ गांव में रहते थे. स्थानीय कार्यकर्ताओं और अखबार ने दावा किया है कि इन तीनों की मौत राशन की कमी के कारण 2 जुलाई और 13 जुलाई के बीच हुई. हालांकि प्रशासन अधिकारियों ने इस बात का खंडन किया है. अधिकारियों का कहना है कि इनकी मौत शराब के कारण हुई है राशन की कमी के कारण नहीं.
राजस्व विभाग के मुताबिक दलित परिवार की वार्षिक आय 11,000 रुपये है. परिवार में सबसे बड़ी नागमा (मां) हैं, उनके चार पुत्र, पत्नी हैं. नागमा ने इस बात को स्वीकार किया है कि उसके दो बेटे शराब पीते थे हालांकि, उन्होंने कहा कि उनके परिवार काम ठीक चल रहा था वो हर महीने राशन ले रही थी.
वनइंडिया से साभार

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