मेवात। मेवात के नीमखेड़ा गांव में जातिवादी गुंडे दलित परिवार पर अत्याचार कर रहे हैं. परिवार पर जातिवादी गुंडे न केवल अत्याचार कर है बल्कि उन्हें गांव से पलायन करने पर भी मजबूर कर रहे हैं. जिसके चलते दलित परिवार ने गांव छोड़ दिया है. हालांकि जातिवादी गुंडे इस मामले को सियासी रंग देकर अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं.
गांव की स्थिति जानने के लिए एसडीएम ने दलितों से मिलने गए. जांच के दौरान केवल एक 60 साल का दलित बुजुर्ग रामजीलाल मिला. जो दहशत के चलते अपना मानसिक संतुलन खोया हुआ था. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जांच के दौरान जब एसडीएम सुरेंद्र सह बुजुर्ग के पास गए तो बुजुर्ग ने सहमे हुए एसडीएम को सरपंच समझा और हाथ जोड़कर कहा सरपंच साहब मुझे मत मारो, मैं मर जाऊंगा. काफी समझाने के बाद उन्हें पता चला कि यह सरपंच नहीं, फिरोजपुर झिरका के एसडीएम हैं और उन्हें बचाने के लिए आए हैं.
बुजुर्ग ने सिसकते हुए कहा साहब हमारे साथ बहुत अत्याचार हुआ है. पूरा परिवार जातिवादी गुंडों के डर से गांव छोड़ चुका है. अब और बर्दाश्त नहीं होता, मुझे बचा लो और इंसाफ दो. एसडीएम ने दोनों तरफ से बयान व मौका मुआयना करने के बाद सहमे हुए बुजुर्ग के इलाज के लिए डाक्टरों की टीम को गांव में जाकर इलाज करने के आदेश दिए. लेकिन बुजुर्ग की हालात शाम को खराब होने के कारण पुलिस प्रशासन द्वारा उसे रात साढ़े ग्यारह बजे इलाज के लिए फिरोजपुर झिरका लाया गया.
गौरतलब है गांव नीमखेड़ा में बीते माह दलित परिवार के ऊपर उस समय सरपंच गुट के लोगों ने हमला कर दिया जब दलित महिलाएं बोर पर पीने का पानी लेने के लिए गई थी. आरोप है सरपंच व उनके गुट के लोगों ने दलित परिवार को पानी न भरने दिया और गाली देकर भगा दिया. दलितों ने अपने साथ हुई इस घटना के बाद पुन्हाना थाने में शिकायत दी. लेकिन पुलिस ने आरोपियों से मिलीभगत कर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की. एसपी के हस्तक्षेप के बाद पुन्हाना पुलिस ने गांव के सरपंच साकिर सहित 16 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. दबंगों के लगातार दबाव से 20 सदस्यों का पीड़ित दलित परिवार गांव से पलायन कर गया. घर की रखवाली के लिए मात्र 60 वर्ष का एक बुजुर्ग यहां रह रहा है जो पूरी तरह से सहमा हुआ है. मामला एससी-एसटी आयोग तक पहुंचा तो प्रशासन हरकत में आया.

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