नई दिल्ली। नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेस टेस्ट (NEET) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने वाली दलित स्टूडेंट अनिता ने शुक्रवार(1 सितंबर) को सुसाइड कर लिया. ये घटना तब हुई जब 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को कहा कि मेडिकल में दाखिले की प्रक्रिया के लिए सभी राज्यों को नीट यानी की NEET का ही पालन करना होगा.
अनिता ने कुझुमुर गांव स्थित अपने ही घर में रस्सी से फांसी लगा ली. वह बहुत ही गरीब परिवार से थी. उसके पिता मजदूरी कर परिवार का पेट भरते हैं. तमिलनाडु सरकार ने अनिता के परिवार वालों को 7 लाख की मदद देने का एलान किया है.
अनिता को राज्य सरकार के एडमिशन के नियम के मुताबिक निश्चित ही मेडिकल सीट मिलती, क्योंकि उसे कट ऑफ मार्क्स से दो नंबर ज्यादा मिले थे. NEET लागू होने के बाद उसका स्कोर कम हो गया था और मेडिकल का उसका सपना टूट गया.
Tamil Nadu: Anitha, a Dalit girl from Ariyalur district, who argued against NEET in Supreme Court, allegedly committed suicide.
— ANI (@ANI) September 1, 2017
गौरतलब है कि तमिलनाडु ने इस साल राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा से राज्य को बाहर रखने के लिए अधिसूचना जारी की थी. इसके बाद केन्द्र ने भी कहा था कि इस मामले में तमिलनाडु को छूट नहीं दी जा सकती है. दलित छात्रा एस अनीता ने नरेन्द्र मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था और अदालत में इसे चुनौती दी थी.
इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 6 छात्रों ने याचिका दायर की थी. छात्रों ने राज्य सरकार को NEET में मिले अंकों के आधार पर तैयार मेधा सूची के अनुसार काउंसिलिंग शुरू करने का निर्देश देने की मांग की थी. इसके बाद 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तमिलनाडु सरकार से राज्य में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों पर नामांकन के लिए नीट मेधा सूची के आधार पर काउंसिलिंग शुरू करने को कहा था. कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सितंबर तक प्रक्रिया पूरी करने के लिए भी कहा था.
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