खबर के साथ लगी इस तस्वीर को देखिए। गर्मी में झुलसा मुस्कुराता हुआ यह चेहरा दलित समाज की बेटी डी. काविया जानी का है। 10 मई 2024 को घोषित तामिलनाडु स्टेट बोर्ड के 10वीं के नतीजों में काविया 500 में से 499 अंक लेकर टॉपर बनी हैं। काविया की यह सफलता खास है क्योंकि यह सफलता उन्होंने उस परिस्थिति में हासिल किया है, जब ज्यादातर लोगों के सपने दम तोड़ देते हैं।
काविया के पिता डी. धर्मराज एक वेल्डर हैं, कोयंबटूर में कांट्रक्ट पर वेल्डिंग का काम करते हैं, जबकि मां डी. वासंती एक ग्रोसरी की दुकान में काम करती हैं। दोनों मिलकर महीने का 13 हजार रुपये कमा पाते हैं। पर उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई रुकने नहीं दी। लेकिन अगर मां-बाप को बेटी को पढ़ाने का जिद थी, तो बेटी काविया को भी पढ़ने का जुनून था। स्कूल पहुंचने के लिए वह हर रोज पब्लिक ट्रांसपोर्ट से 15 किलोमीटर का सफर तय करती थी। नतीजे बता रहे हैं कि तीनों की मेहनत रंग लाई और नतीजा सामने है।
काविया की इस सफलता के पीछे उसके माता-पिता का जुनून और संघर्ष दोनों रहा है। आर्थिक दिक्कतों के बावजूद उन्होंने अपनी दोनों बेटियों, टॉपर बनी काविया और उसकी बहन अक्षया की पढ़ाई नहीं रुकने दी।
काविया का सपना आईएएस अधिकारी बनने का है। दरअसल यह परिवार तामिलनाडु राज्य के कामुथी के पास रामनाथपुरम जिले के जिस पेराईयुर गांव का रहने वाला है, वहां लोग लड़कियों को एक उम्र के बाद स्कूल भेजने से कतराते हैं। यह क्षेत्र अब भी बाल विवाह के चुंगल से पूरी तरह निकल नहीं पाया है। इन सामाजिक बुराईयों ने काविया के मन को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। काविया की मां ने बताया कि वह बड़ी अधिकारी बनकर तमाम सामाजिक बुराईयों को दूर कर सकती है। और जब काविया तीसरी क्लास में थी, तभी उसने आईएएस ऑफिसर बनने का सपना देखा, ताकि वह समाज को सुधार सके।
10वीं के नतीजों से उत्साहित काविया आईएएस बनने के अपने सपने को पूरा करने की राह पर चल पड़ी हैं। उसने 12वीं के लिए कामर्स और हिस्ट्री जैसे विषय चुने हैं। काविया के माता-पिता को उम्मीद है कि उनकी बेटी का सपना पूरा होगा। उन्होंने तामिलनाडु की सरकार से बेटी की पढ़ाई में मदद के लिए गुहार भी लगाई है। देखना होगा के.स्टॉलीन की सरकार क्या मदद करती है।
एक बात और, काविया जैसी बेटियां दलित समाज का रोल मॉडल होनी चाहिए। निश्चित तौर पर ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले और बाबासाहेब आंबेडकर जैसे महानायक ऐसे ही नई पीढ़ी की कल्पना करते थे। दलित दस्तक की ओर से काविया को बधाई और उसके सपनों के लिए मंगलकामनाएं।
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