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नई दिल्ली। जून 2012 से निकलने वाली मासिक पत्रिका दलित दस्तक ने अपनी स्थापना के बाद 10 मार्च को दिल्ली के इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में एक नई पहल की. दलित दस्तक ने पहली बार दलित साहित्यकारों को पत्रिका से जोड़ने की दिशा में कदम उठाते हुए एक पुस्तक पर परिचर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया. इस दौरान ‘अम्बेडकरवाद एक समसामयिक विमर्श’ नाम की पुस्तक का लोकार्पण हुआ, जिसमें साहित्य और पत्रकारिता जगत के अलावा लेखक और बुद्धीजीवी मौजूद थे.
पुस्तक के लेखक जाने-माने साहित्यकार ईश कुमार गंगानिया हैं, जिनकी अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. लोकार्पण समारोह में प्रमुख लोगों में वरिष्ठ साहित्यकार जयप्रकाश कर्दम, स्तंभ लेखक और जेएनयू के शिक्षक प्रो. विवेक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, आलोचक सूरज बड़त्या, तेजपाल सिंह ‘तेज’ और उर्मिला हरित मौजूद थे. इस दौरान ‘दलित दस्तक’ के संपादक अशोक दास ने इस पहल के बारे में के लिए प्रेरित करने के लिए पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य प्रो. विवेक कुमार का धन्यवाद किया.
पुस्तक में लेखक ईश कुमार गंगानिया ने वरिष्ठ साहित्यकार रहे डॉ. तेज सिंह के माध्यम से अम्बेडकर की विचारभूमि से मार्क्सवाद और ब्राह्मणवाद की आलोचना के विषयों का बखूबी विश्लेषण किया है. लोकार्पण समारोह में सभी मंचासीन अतिथियों ने इस पुस्तक के बारे में अपनी राय रखी और इसे एक बेहतर विमर्श का दस्तावेज कहा.
कार्यक्रम के बाद दलित दस्तक ने तय किया कि आने वाले दिनों में भी अम्बेडकरी साहित्य लिखने वाले साहित्यकारों से जुड़ाव के लिए इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे. कार्यक्रम को वरिष्ठ साहित्यकार जयप्रकाश कर्दम, स्तंभ लेखक और जेएनयू के शिक्षक प्रो. विवेक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, आलोचक सूरज बड़त्या, तेजपाल सिंह ‘तेज’ ने संबोधित किया. डॉ. सिद्धार्थ ने कार्यक्रम का संचालन किया.