नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के आरोप में छह महीने की सजा पाने वाले कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व दलित जज जस्टिस कर्णन अदालत से रिहा हो गए हैं. अपनी सजा पूरी करने के बाद कर्णन कल 20 दिसंबर को रिहा हो गए. सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर जेल अधिकारियों और पुलिस की सुरक्षा के बीच कर्णन को रिहा कर दिया गया. कर्णन कोलकाता के प्रेसीडेंसी जेल में बंद थे.
जस्टिस कर्णन को लेने के लिए उनकी पत्नी सरस्वती कर्णन और बेटा पहले से मौजूद थे. तामिलनाडु के कोयम्बटूर के रहने वाले जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में 9 मई को छह महीने की सजा सुनाई गई थी. कुछ दिन पुलिस की पकड़ से दूर रहने के बाद 20 जून को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जस्टिस कर्णन के खिलाफ यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब जस्टिस कर्णन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जज भ्रष्टाचार में लिप्त हैं इसलिए उनकी जांच कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के उठाए सवालों पर संज्ञान लेने की बजाय उनके खिलाफ ही अवमानना का मामला चलाने का फैसला लिया.
केंद्र सरकार की ओर से अटॉनी जनरल ने भी उनके खिलाफ मामला चलाने की वकालत की थी. अदालत में सुप्रीम कोर्ट के जजों और जस्टिस कर्णन के बीच कई बार झड़पें भी हुई. आखिरकार तमाम घटनाक्रम होते हुए पूर्व जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 9 मई 2017 को 6 महीने कैद की सजा सुनाई थी. पूर्व जस्टिस कर्णन हाई कोर्ट के ऐसे पहले सिटिंग जज थे जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने जेल की सजा सुनाई गई. हाल ही में रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद जस्टिस कर्णन ने अपनी सजा माफ करने की गुहार लगाई थी, लेकिन राष्ट्रपति ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया था.
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