मुस्लिम और पिछड़ों द्वारा उत्पीड़न को कैसे देखे दलित समाज?

694

”अपने भाई के सामने मैं गिड़गिड़ाती रही, मगर मेरा भाई रॉड से और दूसरा आदमी चाकू से मेरे पति नागराजू पर लगातार वार करते रहे। मेरे पति को कोई नहीं बचा पाया। हमने प्रेम विवाह किया था।”

यह कहना है अपने पति की हत्या आँखों के सामने होते देखने वालीं अशरिन सुल्ताना का।
अशरिन सुल्ताना के भाई सैय्यद मोबीन अहमद और एक रिश्तेदार मसूद अहमद ने उनके पति दिल्लीपुरम नागराजू को 4 मई की रात को हैदराबाद में बीच सड़क पर मार दिया। इस निर्मम हत्या ने सभी को चौंका दिया। पुलिस के मुताबिक अशरिन का भाई हैदराबाद के बालानगर में फलों का ठेला चलाता है। जबकि नागराजू के माता-पिता विकाराबाद में कुली का काम करते हैं और नागराजू हैदराबाद में मारुती शोरूम में काम करता था।

दरअसल इस घटना को हिन्दू-मुस्लिम का रंग दिया जा रहा है। लेकिन यहां बात हिन्दू-मुस्लिम की नहीं है। दरअसल सुल्ताना का परिवार अपनी बेटी के दलित युवक से शादी से नाराज था। और दलित समाज के भीतर ही तमाम लोग इस मामले पर चुप्पी साधे सिर्फ इसलिए बैठे हैं क्योंकि इससे उनके #बहुजन_फार्मूले को धक्का लगेगा। माफ करिएगा लेकिन मुस्लिम हो, चाहे पिछड़े… सबने दलितों को रौंदा है। लेकिन हैदराबाद की घटना को हमें अनदेखा नहीं करना चाहिए। आंकड़े उठा कर देखिए। जहां भी दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं, ज्यादातर मजबूत पिछड़ी जातियों के लोगों के नाम आ रहे हैं। इसे आखिर क्या समझा जाए। इसे कब तक अनदेखा किया जाए?

फिर दलित समाज के लोग एक जातिवादी ठाकुर एवं ब्राह्मण और एक जातिवादी ओबीसी में क्या फर्क देखें? मुस्लिम समाज को भी इस बारे में अपनी राय बतानी चाहिए। कई लोग इसे सैय्यद और पठान समाज के लोगों द्वारा दलितों पर अत्याचार की बात कह कर इसे ढकने की कोशिश करते हैं। इसे भी मनुवादी जाति व्यवस्था करार देते हैं। अगर ऐसा है तो मुस्लिम समाज डंके की चोट पर माने की उसके भीतर जातिवाद है और वह खुद को हिन्दु जातिवादियों से अलग दिखाने की कोशिश करना बंद करे। सवाल है कि क्या अगर नागराजू दलित न होकर सवर्ण होता तो भी सुल्ताना के घर वाले उसे सरेआम कत्ल करते??

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.