लखनऊ। लगता है योगी सरकार में दलित अफसरों को साइड लाइन कर दिया गया है! जानकारी के अनुसार, मौजूदा सरकारी विभाग में कोई भी दलित अफसर महत्वपूर्ण विभाग में तैनात नहीं है. पिछली सरकारों की अपेक्षा योगी सरकार ने उच्च जाति के अफसरों पर भरोसा जताया है. जिस पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं.
यूपी की नौकरशाही में बीते दो दशक के इतिहास में नजर डालने पर पता चलता है कि जितनी भी प्रदेश में सरकारें रहीं, उन्होंने बगैर भेदभाव के दलित आईएएस अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दी. पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में कुछ दलित अफसरों को महत्वपूर्ण पदों का चार्ज मिला था.
उच्च पदों पर काम कर चुकें हैं कई दलित अफसर
दलितों में पूर्व आईएएस अफसर राय सिंह, पी.एल. पुनिया, नेतराम, डी.सी. लाखा, एस.आर. लाखा, स्वर्गीय कालिका प्रसाद, फतेह बहादुर, एस.डी. बागला, राम कृष्ण, श्रीकृष्ण, चंद्रपाल, हरीश चंद्रा, जे.एन. चेम्बर, गंगाराम बरूवा, एस.पी. आर्या, किशन सिंह अटोरिया आदि नाम हैं, जो अपनी कार्यप्रणाली से हर दल के अजीज हुए दलित अफसरों के महत्वपूर्ण पदों पर रहने से दलित समाज को न्याय मिलने की आशा रहती है.
मौजूदा सरकार में कई दलित अफसर कार्यरत
मौजूदा योगी सरकार में अधिकतर दलित अफसर महत्वहीन पदों पर तैनात कर दिए गए हैं. दलित अफसरों में सुखलाल भारती, छोटे लाल, मनमोहन चौधरी, आनंद कुमार सिंह, राम केवल, अनिल सागर, पिंकी जोवल, प्रकाश बिन्दु, गौरव दयाल, पवन कुमार, ओ.पी. आर्या, सुरेन्द्र राम, उदई राम, के.के. सिंह, सूर्य मणि लाल चंद, सुधा वर्मा, केदार नाथ, विद्या सागर, भगेलू राम शास्त्री, रेनू भारती, चंद्र प्रकाश, सुरेश चंद्रा, एन.एस. रवि हैं. सुरेश चंद्रा को छोड़कर अधिकतर अफसर महत्वहीन पद पर तैनात किए गए हैं.
पीएल पुनिया ने साधा सरकार पर निशाना
एससी-एसटी आयोग के पूर्व अध्यक्ष पी.एल. पुनिया के मुताबिक सबका साथ, सबका विकास का दावा करने वाली भाजपा सरकार भेदभाव पूर्ण रवैया अपना रही है. यूपी में सबसे अधिक दलितों की उपेक्षा हो रही है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार जानबूझ कर दलितों अफसरों को साइड लाइन कर रखा है, जो सैद्धांतिक न्याय के प्रतिकूल है.
क्या कहते हैं जानकार
पूर्व आईजी और दलित चिंतक एस.आर. दारापुरी के मुताबिक अब राजनीतिक दल दलित अफसरों को राजनीतिक चश्मे से देखने लगे हैं, उनकी काबलियत देखने के बजाए द्वेश भावना से महत्वहीन पदों पर तैनाती दी जाती है. यह अच्छी परम्परा नहीं है. उन्होंने योगी सरकार में अधिकतर दलित अफसर साइड लाइन हैं.
राजनीतिक जानकर विजय गौतम के नज़र में अब राजनीतिक दल अफसरों को उनकी जाति और वोट बैंक के हिसाब से महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती देते हैं. अफसर भी अपने फायदे के लिए राजनीतिक दलों का कार्यकर्ता बनने से गुरेज नहीं करते हैं. इसी कमजोरी के चलते अफसरों को उनकी योग्यता का न तो समाज को लाभ मिल नहीं सरकारों की नीतियां जनता के पास जाती हैं.
साभारः ईनाडु इंडिया

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