नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए संशोधन की आग अब दलित आंदोलनकारी, समाज के सामान्य वर्ग से होता हुए अब पुलिस महकमें तक में पहुंच गया है. इस बदलाव से आहत जाने-माने पुलिस अधिकारी और बहुजन मूवमेंट में बड़ा नाम डॉ. बी.पी अशोक ने इस्तीफे की पेशकश की है.
पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) डॉ. बीपी अशोक ने सोमवार को राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने 7 मांगों को मानने या इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है, “इस परिस्थिति में मुझे बार-बार यही विचार आ रहा है कि अब नहीं तो कब, हम नहीं तो कौन.” उन्होंने पत्र की एक प्रति पुलिस महानिदेशक को भी भेजी है.
डॉ. अशोक ने पत्र में लिखा है कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है. संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए. रूल ऑफ़ जज, रूल ऑफ़ पुलिस की जगह पर रूल ऑफ़ लॉ का सम्मान किया जाए. उन्होंने आगे लिखा है कि अभी तक महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. उच्च न्यायालयों में एससी, एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटी महिलाओं को अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है. प्रमोशन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. श्रेणी 1 से 4 तक इंटरव्यू युवाओं में आक्रोश पैदा करते हैं. सभी इंटरव्यू खत्म किए जाएं और जाति के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाया जाए. हालांकि उन्होंने पत्र में आक्रोशित दलित युवकों से शांति की अपील भी की है.
गौरतलब है कि बहुजन आंदोलन में बी.पी. अशोक एक जाना माना नाम है. बसपा शासन में वह एएसपी सिटी लखनऊ (पूर्वी) के रूप में तैनात थे. बसपा शासन में ही अखिलेश यादव को गिरफ्तार कर इन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थी. डॉ. अशोक के पिता भी आईपीएस रहे हैं. हाल ही में डॉ. अशोक की बेटी और दामाद भी सिविल सर्विस की परीक्षा में चयनित हुए हैं.
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