जातिवादः साहूकार ने दलित छात्र को समय पर नहीं दिये 17 हजार रुपए, टूटा IIT में पढ़ने का सपना!

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मुजफ्फरनगर। यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी दलित छात्र ने मुश्किल सवालों को हल कर आईआईटी का एग्जाम तो क्रैक कर लिया, लेकिन रुपए की तंगी का सवाल उससे हल नहीं हो पाया. उसे महज 17 हजार रुपयों की व्यवस्था करनी थी, लेकिन एडमिशन की अंतिम तारीख तक रकम नहीं जमा हो पाई, जिसके चलते वह आईआईटी धनबाद में एडमिशन नहीं ले पाया. उसे और परिवार को एडमिशन न होने का बहुत मलाल है. यूनिवर्सिटी से लेकर एससी/एसटी आयोग, झारखंड हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट तक तीन महीने चक्कर काटने के बाद भी जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां से उसे उम्मीद जगी है.

जानिए क्या था मामला

मुजफ्फरनगर की खतौली तहसील से महज 7 किमी दूर टिटोड़ा गांव निवासी दलित राजेंद्र के सबसे छोटे बेटे अतुल ने जेईई क्लियर किया. उसे आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की सीट अलॉट हो गई. 19 जून से 24 जून 2024 के बीच फीस के महज 17,500 रुपये जमा कराए जाने थे. परिवार के पास इतनी सी रकम जमा नहीं हो सकी. साहूकार ने वादा तो कर दिया, लेकिन वक्त पर फोन उठाना भी बंद कर दिया. अतुल और उसके पिता ने 17 हजार 500 रुपये की रकम जुटाने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारी में फोन घुमाना शुरू कर दिया. ये रकम जुटाने के लिए उन्हें ऐड़ी से चोटी तक के जोर लगाने पड़ गए.

समय से नहीं भर पाया एडमिशन फार्म

जैसे तैसे 17 हजार 500 रुपये की रकम जुटा ली. एडमिशन की लॉस्ट डेट शाम के करीब पौने पांच बजे अतुल ने ऑनलाइन प्रोसेस करना शुरू कर दिया. लेकिन पांच बजने में 4 मिनट बाकी थी, उसी दौरान अचानक वेबसाइट लॉगआउट हो गई. अतुल ने 4 बजकर 57 मिनट पर फिर से ट्राई किया और जल्दी-जल्दी डॉक्यूमेंट अपलोड किए, लेकिन जब बैंक पेमेंट की डिटेल भरने का नंबर आया, तब तक 5 बज चुके थे। 5 बजते ही फीस प्रोसेसिंग की पूरी प्रक्रिया पर विराम लग चुका था.

एडमिशन के लिए शुरू किया संघर्ष

इतना कुछ होने के बाद भी अतुल ने हिम्मत नहीं हारी और उसने यूनिवर्सिटी से फोन और ईमेल के जरिए संपर्क कर पूरा माजरा बताया, लेकिन उन्होंने सारा काम ऑनलाइन और कंप्यूर्टाज्ड होने की बात कहकर हाथ खड़े कर लिए. जिसके बाद अतुल का संघर्ष शुरू हो गया. चूंकि इस बार काउंसलिंग की जिम्मेदारी मद्रास यूनिवर्सिटी की थी तो अतुल ने एससी एसटी आयोग में धनबाद और मद्रास यूनिवर्सिटी को पार्टी बनाते हुए शिकायत की.

सुप्रीम कोर्ट में लगाई अर्जी

मामले में सुनवाई के दौरान मद्रास यूनिवर्सिटी के चेयरमैन तलब हुए, लेकिन उन्होंने भी सारा कार्य कंप्यूटराइड होने की बात कहते हुए मदद करने में असमर्थता जताकर पल्ला झाड़ लिया. उसके बाद अतुल ने पहले झारखंड हाईकोर्ट फिर वहां से भी राहत नहीं मिलने पर मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पैसों की किल्लत और अन्य कोई सहयोग ना मिलने की वजह से अतुल का संघर्ष और भी कड़ा होता चला गया. इसके बाद अतुल ने मद्रास हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की इच्छा जताई. अनुमति मिलने के बाद अतुल की तरफ से वकील ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई.

मिला मदद का भरोसा

24 सितंबर को इस मामले में सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए आईआईटी मद्रास को नोटिस जारी किया. साथ ही अतुल को हर संभव मदद किए जाने का भरोसा भी दिया.

साहूकार को थी जलन

अतुल के पिता राजेंद्र ने बताया कि उनके साथ धोखा हुआ है. साहूकार को इस बात की जलन है कि दलित के बच्चे इतने पढ़ लिखकर कामयाब कैसे हो सकते हैं. शायद इसी वजह से उसने वक्त पर पैसे नहीं दिए, ताकि अतुल की फीस जमा ना हो और वो एडमिशन से वंचित हो जाए. राजेंद्र कहते हैं कि वो अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए अपना घर तक बेचने को तैयार हैं.

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