अहमदाबाद। दलितों द्वारा मरे हुए जानवरों को उठाए जाने से इनकार करने की बात जातिवादियों से हजम नहीं हो पा रही हैं. दलितों के बार-बार मना करने पर भी जातिवादी लोग उन पर जबरन मरे जानवर उठाने का दबाव बना रहे हैं. अगर दलित मरे जानवर उठाने से मना कर रहे हैं तो वे उनसे मारपीट कर रहे हैं और जब दलित पुलिस के पास शिकायत करने जाती है तो वे लोग भी उनकी शिकायत नहीं लिखतें. ऐसी घटनाएं गुजरात में आए दिन हो रही हैं. इस तरह की घटनाओं से साफ पता चलता है कि गुजरात सरकार दलितों के प्रति कितनी सतर्कता से काम कर रही हैं.
मामला है अहमदाबाद के भावड़ा गांव का जहां एक 15 वर्षीय दलित बच्चे को सिर्फ इसलिए पीट दिया गया क्योंकि उसके पिता ने गांव में पड़े मरे जानवर उठाने से इनकार कर दिया था. कक्षा 10 में पढ़ने वाले इस बच्चे को पीटे जाने की घटना गुरूवार की बताई जा रही है, जब दो युवकों सहिल ठाकुर और सरवर खान पठान ने मिलकर उसकी पिटाई कर दी. हमलावरों का कहना था कि उसका परिवार गांव से लाश उठाने से इनकार कैसे कर सकता है.
बताया जा रहा है कि बच्चे के पिता ने उना में हुई दलितों की पिटाई मामले के बाद प्रतिक्रिया स्वरूप मरे जानवरों को उठाने से इनकार किया था. गौरतलब है कि गुजरात के उना में दलितों की पिटाई के बाद कई दलित नेताओं ने विरोध स्वरूप जानवरों की लाशों को न उठाने की सभी दलितों से अपील की थी और शपथ भी दिलवाई थी. बच्चे के पिता दिनेश परमार ने बताया की जानवरों की लाश हटाना हमारा पारंपरिक पेशा है, लेकिन उना घटना के बाद से मैंने सैकड़ों दलित भाइयों के साथ लाश न उठाने की शपथ ली थी. अब मैं दिहाड़ी मजदूरी का काम करता हूं.
बेटे को पीटे जाने की घटना का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि गुरूवार को मेरा बेटा अपने दोस्तों के साथ बैठा था, तभी वहा दो युवक आए उन्होंने उसे गाली देनी शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने बुरी तरह से पीटा भी. इसके बाद से ही वह इतना डरा हुआ था कि वह गांव में रहना ही नहीं चाहता था, इसलिए हमने उसे उसकी बुआ के पास भेज दिया है. बहरहाल बच्चे की पिटाई की रिपोर्ट उसके पिता ने पुलिस स्टेशन में दर्ज करा दी है, जिसके बाद इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.
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मरी गाय का खाल निकालना बंद कर दो