कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. घटना कुशीनगर की एक दलित बस्ती पृथ्वीपुर की है. जहां एक बीमार दलित दुदही के सीएचसी अस्पताल में करीब चार घंटे तक तड़पड़ता रहा. लेकिन उसे एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली. एम्बुलेंस के इंतजार में इतनी रात हो गई कि वह जिला अस्पताल नहीं जा पाई. मजबूरन परिवार वालों को बीमार दलित को घर लेकर आना पड़ा.
दलित की हालत गम्भीर बनी हुई है. स्वास्थ्य कर्मियों की संवेदनहीनता व उपेक्षा का यह आलम तब है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री मुसहर जाति के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी सुविधाएं देने को आदेश दे रखा है और जिले स्तर पर इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हुए हैं.
पृथ्वीपुर गांव के मुसहरी टोला निवासी कंचन मुसहर काफी दिनों से बीमार चल रहा था. वह पेट के रोग से ग्रसित है. हालत गम्भीर होने पर परिजन उसे सीएचसी दुदही में भर्ती कराया गया. कंचन की पत्नी चमेली देवी डॉक्टर के पास पर्ची लेकर पहुंची तो डॉक्टर ने मरीज की हालत देखते ही जिला अस्पताल के लिये रेफर कर दिया. लेकिन गम्भीर हालत में तड़पते कंचन को कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई. परिजनों ने 108 पर फोन कर एम्बुलेंस की मांग की तो उधर से अस्पताल में तैनात चिकित्सक से बात कराने को कहा गया. जब चमेली चिकित्सक के पास बात कराने के लिए पहुंची तो चिकित्सक ने बात करने से न केवल इंकार कर दिया बल्कि फटकार लगा कर भगा दिया. उसके बाद करीब चार घण्टे गंभीर रूप से बीमार गरीब मुसहर तड़पता रहा लेकिन किसी भी स्वास्थ्य कर्मी को दया नहीं आई.
शाम को अंधेरा गहराने तक जब जिला अस्पताल जाने की कोई सुविधा नहीं मिली तो इस गरीब मुसहर के परिजन लाचार हो गए. बाजार से गांव जा रहे एक ठेले वाले का अनुनय-विनय कर कंचन को लाद कर परिजन किसी तरह से तीन किमी दूर अपने गांव ले आए. जहां कंचन की हालत गंभीर बनी हुई है.
इस सम्बन्ध में सीएचसी प्रभारी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने इस मामले की कोई जानकारी न होने की बात कह दी. जिलाधिकारी आन्द्रा वामसी ने भी स्पष्ट रूप से इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।