Thursday, February 6, 2025
HomeTop Newsयोगी सरकार का दिया सम्मान लेने नहीं जाएंगे जयप्रकाश कर्दम

योगी सरकार का दिया सम्मान लेने नहीं जाएंगे जयप्रकाश कर्दम

नई दिल्ली। हिंदी के जाने माने साहित्यकार जय प्रकाश कर्दम उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में शामिल नहीं होंगे. जय प्रकाश कर्दम को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से चार लाख रुपये का लोहिया सम्मान दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त को तमाम साहित्यकारों को सम्मान देने की घोषणा की थी. लेकिन दलित सहित्य से ताल्लुक रखने वाले कर्दम कुछ दलित साहित्यकारों द्वारा भाजपा की योगी सरकार द्वारा दिए गए इस सम्मान को लेकर जय प्रकाश कर्दम की आलोचना कर रहे थे. इसको लेकर वो काफी आहत थे, जिसके बाद उन्होंने ये फैसला किया है. हालांकि उन्होंने पुरस्कार लेने से इंकार नहीं किया है. फिलहाल वो सिर्फ कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर रहे हैं.

दलित दस्तक को भेजे अपने मैसेज में उन्होंने लिखा- “मैं उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 24 अक्टूबर 2018 को आयोजित सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए लखनऊ नहीं जा रहा हूं. उस दिन मैं एक राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के लिए कन्नूर, केरल में रहूंगा.”

दलित दस्तक द्वारा यह पूछने पर की क्या वो सम्मान नहीं लेंगे? उनका कहना था कि- “सम्मान साहित्य के लिए मिला है तो सम्मान की अपेक्षा साहित्य को प्राथमिकता देकर साहित्य का सम्मान करना उचित समझ रहा हूं.”

दरअसल कर्दम कुछ दलित साहित्यकारों द्वारा अपनी आलोचना से काफी असहज थे. पिछले दिनों फेसबुक पर लिखे उनके एक पोस्ट से ये समझा जा सकता है. उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा-

“उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा सन 2017 के लिए लोहिया सम्मान मुझे दिए जाने की घोषणा के बाद फोन और फेसबुक के माध्यम से बहुत से मित्रों और शुभचिंतकों ने मुझे बधाई और शुभ कामनाएँ दी हैं. बधाई संदेशों की कड़ी में कुछ मित्रों, शुभचिंतकों द्वारा मुझे ‘गऊ लेखक’ कहकर कटाक्ष किया गया है. आज के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में ‘गऊ’ शब्द के विशेष निहितार्थ हैं. मुझको ‘गऊ’ कहने वाली कुछ टिप्पणियाँ उसी निहितार्थ की ओर संकेत करती प्रतीत होती हैं. इन टिप्पणियों के शब्दों की व्याख्या की जाए तो यह अर्थ निकलता है कि जयप्रकाश कर्दम उस दलित विरोधी और हिंसक हिन्दुत्ववादी सोच का समर्थक लेखक है, जो गऊवाद की जनक और पोषक है. इन टिप्पणियों पर मैं अपनी ओर से कुछ नहीं कहना चाहता. मैं चाहूँगा कि पाठक, आलोचक और शोधार्थी मेरे लिखित साहित्य का मूल्यांकन करें और समाज को अपनी राय से अवगत कराएं.”

इस मुद्दे पर बहस ज्यादा बढ़ने पर जय प्रकाश कर्दम का एक और पोस्ट सामने आया. इसमें इन्होंने लिखा-

“पिछले कुछ दिनों से, जब से लोहिया सम्मान की घोषणा हुई है, लेखक मित्रों का एक वर्ग मेरा विशेष आलोचक बना हुआ है. अंबेडकरवाद के प्रमाण-पत्र बाँटने में लगा यह वर्ग अपनी समझ और चेतना के अनुसार मुझे ब्राह्मणवादी, दलित विरोधी, भ्रमित, भटका हुआ, बिका हुआ, आदि..आदि…विशेषणों से सुशोभित करके मुझे दलित समाज, साहित्य और आंदोलन का खलनायक सिद्ध करने में लगा है. मुझे नहीं पता इन लोगों ने मेरा लिखा साहित्य कितना पढ़ा है, पढ़ा भी है या नही. …..

मैं सिर्फ इतना कह सकता हूँ कि मैं जो था, वही हूँ और वही रहूँगा. खुद को सिद्ध करने के लिए मुझे किसी के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है.

इन दोनों पोस्ट से लोहिया सम्मान को लेकर वरिष्ठ लेखक के द्वंद को समझा जा सकता है. और आखिरकार उन्होंने सम्मान समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया. लेकिन उनके इस फैसले ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या एक दलित साहित्यकार को भाजपा सरकार में कोई सम्मान नहीं लेना चाहिए. भले ये सम्मान उसकी काबिलियत को देखते हुए दिया गया हो. क्योंकि जय प्रकाश कर्दम हिंदी दलित साहित्य की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं.

उनका लिखा उपन्यास “छप्पर” दलित साहित्य का पहला उपन्यास माना जाता है. तो वहीं उनकी कई कहानियां भी काफी सराही गई हैं. उनमें से उच्च वर्ग के छद्म जातीय उदारवाद पर लिखी कहानी “नो बार” भी काफी प्रचलित कहानी है. इस पर डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है. दरअसल जय प्रकाश कर्दम ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने साहित्य की हर विधा में शानदार काम किया है. इतना काम की उनको किसी सम्मान के लिए किसी विचारधारा या सरकार की पैरवी की जरूरत नहीं है. इस पूरे घटनाक्रम ने दलित साहित्यकारों के भीतर गुटबाजी की पोल भी खोल दी है. ‘दलित दस्तक’ ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाना इसलिए जरूरी समझा क्योंकि जयप्रकाश कर्दम का निर्णय कितना सही है, इस पर पाठक खुद फैसला लें, और उनकी आलोचना करने वाले आलोचक कितने सही हैं, इसका फैसला भी पाठक खुद करें.

Read it also-मोदी के खिलाफ बनारस में ताल ठोकेंगे शत्रुध्न सिन्हा?

दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये आप हमें paytm (9711666056) कर सकतें हैं। 

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content