Wednesday, March 12, 2025
HomeTop Newsनहीं रहें बेबाक दलित साहित्यकार सूरजपाल चौहान

नहीं रहें बेबाक दलित साहित्यकार सूरजपाल चौहान

हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार सूरज पाल चौहान नहीं रहें। आज 15 जून को सुबह करीब साढ़े दस बजे उनका परिनिर्वाण हो गया। वह 66 वर्ष के थे। सूरजपाल चौहान पिछले काफी दिनों से बीमार थे और लगातार उनका डायलिसिस हो रहा था। उनके निधन की सूचना से दलित साहित्य के साथ हिन्दी साहित्य की भारी क्षति हुई है। सूरजपाल चौहान की कविताओं और कहानियों ने दलित समाज को जगाने और झकझोरने का काम किया। वह अपनी कविताओं की चंद पंक्तियों के जरिए बड़ी-बड़ी बातें कह देते थे, जिससे बहुजन समाज सोचने को विवश हो जाता था। तो वहीं अपनी कहानियों में वह दलित समाज के मुद्दों को उठाने के साथ दलित समाज के भीतर फैली कुरीतियों और दोहरेपन को भी सामने लाने से नहीं चूकते थे।

(सूरजपाल चौहान के बारे में जानने के लिए ऊपर के वीडियो में उनका इंटरव्यू देखिए)

सूरजपाल चौहान शुरुआती दिनों में हिन्दीवादी संगठनों से जुड़े रहे और उनके मंचों से हिन्दुवादी कविताएं कहते रहें। लेकिन ओमप्रकाश वाल्मीकि के संपर्क में आने के बाद वह अंबेडकरवादी हो गए थे और फिर बाबासाहेब और दलित साहित्य से जुड़ गए। इसके बाद उन्होंने दलित साहित्य को काफी सिंचा और दलित साहित्य में बड़ा योगदान दिया। ‘हैरी कब आएगा’ उनकी चर्चित कृति रही। उन्होंने ‘तिरस्कृत’ नाम से अपनी आत्मकथा लिखी। इसके अलावा उनका कविता संग्रह और कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है।

 उनका जन्म 20 अप्रैल 1955 में हुआ था। अपने जीवन में काफी संघर्ष करने के बाद वह इस मुकाम पर पहुंचे थे। वह पिछले काफी समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रहे थे। उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी, जिसके बाद पिछले लंबे वक्त से उन्हें लगातार डायलिसिस लेना पड़ता था। बावजूद इसके वह तमाम पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखते रहे। सूरजपाल चौहान ‘दलित दस्तक’ के लिए भी लगातार लिखते रहे। उन्होंने दलित दस्तक के लिए तमाम कहानियां और कविताएं लिखी, जिससे यह पत्रिका काफी समृद्ध हुई।

अपने आखिरी वक्त में वह आजीवक चिंतक डॉ. धर्मवीर की काफी बातें कर रहे थे। उनके विचार को आगे बढ़ा रहे थे।  वह सोशल मीडिया पर लगातार संस्मरण लिख रहे थे। इस दौरान उन्होंने तमाम दलित लेखकों पर भी सवाल उठाएं जिससे दलित साहित्यकारों के बीच उनको लेकर थोड़ी नाराजगी रही। लेकिन हमेशा बेबाक बोलने के लिए मशहूर सूरजपाल चौहान ने इसकी परवाह नहीं की। दलित दस्तक की ओर से सूरजपाल चौहान जी को श्रद्धांजलि। नमन।

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content