भारत में जातिवाद के ऊपर लिखी गई एक बहुत ही मार्मिक कहानी इन दिनों अमेरिका में चर्चा में है. इस कहानी की लेखक भारतीय मूल की एक 26 वर्षीय दलित छात्रा है, जिनका नाम सुजाता गिड़ला है. सुजाता का जन्म भारत के आंध्र प्रदेश में हुआ. इस वक़्त वह न्यूयॉर्क सब-वे में एक कंडक्टर के रूप में कार्यरत हैं. किताब का नाम “Ants Among Elephants” है . इस पुस्तक में कई जगह उन्होंने ने ऐसी घटनाओं का जिक्र किया है जहां दलितों को जातिवाद भेदभाव और निरादर सहना पड़ा हो.
सुजाता खुद भारत के एक बहुत ही प्रतिष्ठित संस्थान IIT मद्रास की छात्रा रह चुकी हैं, उन्होंने अपने किताब के परिचय में यह उल्लेख किया है कि उनका जन्म मद्रास के एक शहर काजीपेट में हुआ था जो उस वक़्त आंध्र प्रदेश का हिस्सा था. उनके माता एवं पिता दोनों शिक्षक थे, लेकिन दलित होने वजह से उन्हें गांव के बाहर एक अलग स्थान पर बसी जगह में रहना पड़ता था. इस पुस्तक में उन्होंने दलितों की इस स्थिति को अमेरिका में रह रहे काले लोगों की स्थिति से तुलना की है, जिनके साथ रंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है.
उन्होंने बताया कि “एक दलित, जिनकी एक अहम भूमिका… जिनका एक मूल धर्म… या तो दूसरों के खेतो में काम करना है या फिर ऐसे काम करना है जिन्हें हिन्दू गन्दा समझते हों. इन दलितों को गांव के अंदर रहने या फिर मंदिरो में प्रवेश करने की भी अनुमति नहीं है. न तो ये दूसरे जाति के लोगों के साथ बैठ कर खा सकते हैं, ना ही उस जगह से पानी पी सकते हैं जहां अन्य जाति के लोग पानी पीते हों.” ऐसे ही हज़ारों पाबंदियों का उल्लेख सुजाता ने अपनी इस पुस्तक में किया है. वह कहती हैं कि हर दिन एक भारतीय मीडिया में दलितों के प्रति हो रहे अन्याय जैसे कि उन्हें मारना पीटना और सैंडल पहनने या साईकल चलाने पर उनकी हत्या कर देने जैसी घटनाओं की खबर देखी जा सकती है.
अमेरिका के बड़े प्रकाशन जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस पुस्तक की समीक्षा करते हुए इसे भारत के व्यावहारिक समझ का एक बहुत बड़ा उदाहरण बताया है. अमेरिका में इसका संस्करण आ चुका है और बहुत जल्द भारत में भी आने वाला है.
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