नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने हाल ही में 2016 में देश में हुए अत्याचारों की रिपोर्ट जारी कर दी है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. पूरे साल के दौरान उन राज्यों में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुआ, जहां भाजपा का शासन है. वर्तमान में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा तथा झारखण्ड में भाजपा का शासन हैं. इन सभी राज्यों में दलित उत्पीड़न के अपराध दूसरे राज्यों की अपेक्षा काफी अधिक दर्ज किए गए हैं. एक नजर डालते हैं पूरी रिपोर्ट पर-
साल 2016 में दलितों पर अत्याचार की कुल संख्या 40,801 दर्ज की गई, जो कि 2015 की संख्या 38,670 से 2,131 अधिक है. इस साल पिछले साल की अपेक्षा दलित उत्पीड़न के मामलों में 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुयी है. इसी प्रकार उसी अवधि में जनजाति वर्ग के विरुद्ध 6,568 अपराध घटित हुए जो कि 2015 की अपेक्षा 4.7 प्रतिशत अधिक रही. यही हाल महिलाओं के साथ बलात्कार के भी रहे, जिससे स्पष्ट है कि भाजपा राज में दलित महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं.
दलितों पर अत्याचार के मामले में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है. यहां 4,922 अपराध दर्ज किए गए. अपराध की दर 43.4 फीसदी रही जो कि राष्ट्रीय दर 20.3 से दोगुनी हैं. इसी प्रकार राजस्थान दलित अपराध में देश में दूसरे नंबर पर हैं, जहां 5,134 अपराध हुए हैं. उसकी दर 42.0 प्रतिशत रही जो कि राष्ट्रीय दर (20.3) से दोगुनी है. गोवा तीसरे स्थान पर है जहां अपराध दर 36.7 रही. गुजरात का स्थान 5वां है जहाँ अपराध दर 32.2 है जो कि राष्ट्रीय दर 20.3 से लगभग डेढ़ गुना है.
इस अवधि में देश में दलितों की हत्या के 786 मामले दर्ज हुए. सबसे ज्यादा हत्याएं गुजरात में हुई. महिलाओं से जबरन बलात्कार की बात करें तो 2016 में पूरे देश में 2,540 यानि की ढाई हजार से ज्यादा दलित महिलाएं बलात्कार की शिकार हुयीं. बलात्कार की दर सबसे ज्यादा केरल में 4.7 रही. इसके बाद मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और फिर गुजरात का जिक्र आता है. इन सभी राज्यों में भाजपा की सरकार है. जबकि दलित महिलाओं से बलात्कार के प्रयास के 3,172 मामले दर्ज किए गए. 2016 में कुल 1268 महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज की गई.
सामने आई इस सरकारी रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अधिकतर भाजपा शासित राज्य दलित उत्पीड़न में दूसरे राज्यों से काफी आगे हैं. यह आंकड़े प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दलित उत्पीड़न को लेकर दिखाई गयी हमदर्दी तथा उनके “सब का साथ, सब का विकास” के नारे की भी पोल खोलती है.