भारत में आए दिन जातिवाद की अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिलती है। हर तस्वीर पहली तस्वीर से भयानक होती है। जातिवाद की एक तस्वीर बिहार से आई है। तस्वीर में आपको जो टिन का दरवाजा दिख रहा है, वह किसी के घर का दरवाजा नहीं है, बल्कि दलित समाज के आने-जाने वाले रास्ते को जबरन बंद किया गया है। इसी बीच 21 अप्रैल को यहां एक बुजुर्ग दलित की मौत हो गई, तो भी जातिवादियों का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने शव की अंतिम यात्रा नहीं निकलने दी और बांस-बल्लियों से पूरा रास्ता घेर दिया, जिसके कारण 12 घंटे तक शव यहीं पड़ा रहा।
मृतक परिवार के लोग रोते रहें, गिड़गिराते रहें, लेकिन जातिवादियों ने रास्ता नहीं दिया। मामला बिहार के छपरा जिले के गरखा थाने के नारायणपुर गाँव का है। गाँव की महादलित बस्ती में करीब सात महीने से रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है। जातीय दंभ में पागल जातिवादी गुंडों ने दलित समाज के लोगों का रास्ता रोक रखा है। काफी मान-मनौव्वल के बाद भी जब जातिवादी समाज के लोग नहीं मानें, तो दलितों ने मजबूती से रास्ता खोलने को कहा।
दलितों की मांग जातिवादियों को बर्दास्त नहीं हुई। और 23 सितंबर 2021 को उन्होंने दलितों के साथ मारपीट की। इसमें दलित समाज के करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए। इसके खिलाफ दलित समाज के लोगों ने गड़खा थाने में एससी-एसटी एक्ट के तहत इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि नौ आरोपियों ने अदालत के सामने समर्पण कर दिया।
बेल पर बाहर आने के बाद खुन्नस खाए आरोपियों ने बांस-बल्ली लगाकर दलित बस्ती के चारो तरफ का रास्ता रोक दिया। तभी से दलित समाज के लोग जैसे-तैसे अपने दिन गुजार रहे थे। रास्ता बंद होने से उन्हें हर दिन मुश्किलों का सामना पर रहा था, लेकिन न तो जातिवादी गुंडे और न ही पुलिस प्रशासन उनकी दुहाई सुन रहा था।
इस बीच 21 अप्रैल को दलित समाज के किशुन राम की मौत हो गई। तब भी शव यात्रा को रास्ता नहीं दिया गया। स्थानीय पुलिस से शिकायत करने पर भी पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। शव पूरी रात बस्ती में ही पड़ा रहा। इसके बाद डीएम और सदर एसडीएम को मोबाइल पर घटना की सूचना दी गई। तब जाकर प्रशासन हड़कत में आया और शव यात्रा निकाला जा सका।
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक हालांकि डीएम के हस्तक्षेप से अंतिम संस्कार तो हो गया, लेकिन इस दौरान भी जातिवादी गुंडे गाली-गलौज करते दिखे। दलित समुदाय के लोग इसका वीडियो बनाने लगे। हद तो तब हुई जब पुलिस गाली-गलौज करने वाले लोगों को रोकने के बजाय जातिवादियों के सुर में सुर मिलाते हुए वीडियो बना रहे दलित युवकों पर ही चढ़ बैठी और उनके मोबाइल छिन लिये और वीडियो को डिलीट कर दिया। इससे दलितों के बीच भारी गुस्सा बना हुआ है।
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