भारत के लिए ओलंपिक में पदक की उम्मीद जगाने वाली दीपा कर्मकार की ओर सारा देश उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है. दीपा 14 अगस्त को फाइनल के लिए उतरेंगी. जाहिर है जब दीपा अपना प्रदर्शन कर रही होंगी तो सारा भारत सांस रोके उनको देख रहा होगा.
लेकिन जिस दीपा कर्मकार ने भारत को ओलंपिक पदक की दहलीज पर ला खड़ा किया है, देश भर में हर भारतीय मन ही मन जिस दीपा कर्मकार की सफलता की दुआ कर रहा है…. उसी देश की खेल व्यवस्था ने दीपा के साथ उसके फीज़ियोथेरेपिस्ट को यह कह कर नहीं जाने दिया कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. फ़ीजियो को साथ लेकर जाना पैसे की बर्बादी है. भला हो इस देश का जहां ऐसी सड़ांध व्यवस्था में भी खिलाड़ी अपने जज्बे से एक-दो पदक ला कर दे देते हों…. राष्ट्र के नाम पर गर्व करने लायक व्यवस्था तो अपने पास है ही नहीं बाकी जुमलेबाजी सत्ता पक्ष से या विपक्ष से चाहे जितनी हो जाए.
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